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भारत बातचीत के जरिए जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने का समर्थक : आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह

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November 21, 2024
in अंतरराष्ट्रीय
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भारत बातचीत के जरिए जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने का समर्थक : आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह
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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लाओस में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

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रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

–आईएएनएस

एमके/

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लाओस में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लाओस में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लाओस में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लाओस में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है।

रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

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रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

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रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

21 वीं सदी को ‘एशियाई सदी’ बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूप से गतिशील रहा है और व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है।

1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

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रक्षा मंत्री ने वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस फोरम को संबोधित करते हुए कहा, “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांत को सभी देशों द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाना चाहिए। विश्व तेजी से ब्लॉकों और कैंप में विभाजित हो रहा है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।”

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बेरोकटोक वैध वाणिज्य और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के पक्ष में है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत ने हमेशा जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत की वकालत की है और ऐसा किया भी है।” उन्होंने कहा कि खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “बातचीत की शक्ति हमेशा कारगर साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम सामने आए हैं। भारत का मानना ​​है कि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब देश रचनात्मक रूप से जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशा में काम करें।”

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1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई एक उक्ति का संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिर भी मैं इसे पहचान नहीं पाया’ , यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।

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