नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। स्थिर राजनीतिक परिदृश्य और अनुकूल नीति माहौल के बीच हेल्थकेयर, फार्मा, कंज्यूमर-रिलेटेड इंडस्ट्री और टेक्नोलॉजी जैसे सेक्टरों की वजह से भारत में निजी इक्विटी निवेश को लेकर उछाल दर्ज हुआ है।
बुधवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2024 में निजी इक्विटी निवेश बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 46.2 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेटा प्रोवाइडर एलएसईजी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत की बढ़ती मध्यम वर्ग की आबादी, मजबूत स्टार्टअप सिस्टम और आईपीओ मार्केट ने निवेशकों के लिए कई अवसर प्रदान किए।
एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस की वरिष्ठ प्रबंधक एलेन टैन ने कहा, “एशिया प्रशांत में भारत फाइनेंशियल स्पॉन्सर एक्टिविटी के लिए एक टॉप मार्केट बना रहा। इस अवधि के दौरान क्षेत्र के कुल इक्विटी निवेश का कम से कम 28 प्रतिशत हिस्सा भारत में रहा, जो पिछले वर्ष की 15 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी से अधिक है।
पिछले तीन वर्षों में जुटाया गया कुल पीई फंड लगभग 23 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ” 2025 में भारत में निजी इक्विटी एक्टिविटी को बढ़ावा देने में अनुकूल सरकारी पहल, प्रत्याशित वैश्विक मौद्रिक सहजता, अलग-अलग क्षेत्रों के अवसर और ईएसजी को विकास रणनीतियों में इंटीग्रेट करने में बढ़ती रुचि जैसे कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।”
वैश्विक ब्रोकरेज और वित्तीय संस्थानों के हालिया अनुमानों के अनुसार, 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए स्थिर राजनीतिक परिदृश्य, अनुकूल नीति, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) कार्यक्रमों के प्रभाव, ग्लोबल सप्लाई चेन में बदलाव से उत्पन्न संभावनाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च पर सरकार के जोर से समर्थन मिलने की उम्मीद है।
विकास वाले हिस्से को छोड़कर बड़े बाजारों में भारतीय मैक्रो मजबूत बना हुआ है। चालू खाता घाटा (सीएडी) में शानदार सुधार दर्ज हुआ है और वित्त वर्ष 2025 के लिए इसके एक प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
इसके अलावा, क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत सेवा निर्यात और हेल्दी रेमिटेंस फ्लो से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश के सीएडी को सुरक्षित क्षेत्र में रखने में मदद मिलेगी।
अधिकांश घरेलू मैक्रो और माइक्रो संकेतक स्थिर बने हुए हैं। उद्योग के जानकारों के अनुसार, इन पहलुओं को देखते हुए, घरेलू इक्विटी बाजार आय पर केंद्रित है। सरकारी खर्च फिर से शुरू हो गया है, रोजगार बढ़ रहा है और सप्लाई को लेकर परेशानियां कम हो रही हैं।
–आईएएनएस
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