नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। जेनेरिक एआई में 2032 तक भारत में लेखांकन कार्यों पर खर्च होने वाले 46 प्रतिशत समय को स्वचालित करने की क्षमता है। सोमवार को एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
कुछ सफेदपोश भूमिकाओं (जैसे अकाउंटेंट, बहीखाता क्लर्क, वर्ड प्रोसेसर ऑपरेटर, प्रशासनिक सचिव, स्टॉल/मार्केट सेल्सपर्सन) में शामिल कार्यों पर बिताया गया लगभग 30 प्रतिशत या अधिक समय जेनेरिक एआई द्वारा किया जा सकता है।
इसकी तुलना में, शिक्षण कंपनी पियर्सन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक कामकाजी सप्ताह में ब्लू-कॉलर श्रमिकों (जैसे बुनकर, वेटर, बेकर / रसोइया आदि) का 1 प्रतिशत से भी कम काम जेनरेटिव एआई द्वारा किया जा सकता है।
कई प्रशासनिक भूमिकाओं में दोहराए जाने वाले कार्य होते हैं – जैसे नियुक्तियों को शेड्यूल करना या कॉल का उत्तर देना और निर्देशित करना – जिन्हें जेनरेटर एआई द्वारा आसानी से दोहराया जा सकता है।
भारत में, सबसे अधिक प्रभावित कार्य लेखांकन और बही-खाता (46 प्रतिशत) है, इसके बाद वर्ड प्रोसेसर और संबंधित ऑपरेटर (40 प्रतिशत) हैं।
पियर्सन वर्कफोर्स स्किल्स के अध्यक्ष माइक हॉवेल्स ने कहा,“जैसा कि कर्मचारी भविष्य की ओर देखते हैं, यह समझना कि एआई से कौन सी नौकरियों को खतरा है, उन्हें तैयारी करने की अनुमति मिलती है। उन्हें यह भी विचार करना चाहिए कि जनरल एआई द्वारा नई भूमिकाएं कहां बनाई जा सकती हैं। श्रमिकों और नियोक्ताओं को यह देखना चाहिए कि वे सर्वोत्तम एआई और सर्वोत्तम मानव कौशल का एक साथ उपयोग करके परिवर्तन की इस लहर को कैसे चला सकते हैं।”
भारत में सबसे कम प्रभावित नौकरियां परिवहन और संचार में कार्यरत मालिक, निदेशक और अधिकारी तथा बिक्री और विपणन प्रबंधक हैं। पियर्सन की नवीनतम ‘स्किल्स आउटलुक’ श्रृंखला में पांच देशों – ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, अमेरिका और यूके में 5,000 से अधिक नौकरियों पर जेनरेटिव एआई के प्रभाव को देखा गया।
–आईएएनएस
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