नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। देश भर में मौसमी एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के प्रकोप के बाद कर्नाटक और हरियाणा में दो लोगों की मौत की सूचना मिली है। अब तक, देश भर से 3,038 एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, छोटे बच्चे और वृद्ध लोगों के लिए मौसमी इन्फ्लूएंजा सबसे खतरनाक हैं। अब तक, कर्नाटक और हरियाणा ने एच3एन2 इन्फ्लूएंजा से एक-एक मौत की पुष्टि हुई है।
मार्च के अंत से ऐसे मामलों में कमी आने की उम्मीद है। मंत्रालय ने कहा कि राज्य निगरानी अधिकारी इस सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा ओपीडी और स्वास्थ्य सुविधाओं के आईपीडी में पेश होने वाले इन्फ्लुएंजा जैसे बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के मामलों की लगभग वास्तविक समय निगरानी की जाती है।
मंत्रालय ने कहा- आईडीएसपी-आईएचआईपी (एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच) पर उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्यों द्वारा 9 मार्च 2023 तक एच3एन2 सहित इन्फ्लुएंजा के विभिन्न उपप्रकारों के कुल 3038 पुष्ट मामलों की सूचना दी है। इसमें जनवरी में 1245, फरवरी में 1307 और मार्च में 486 मामले शामिल हैं।
इसके अलावा, स्वास्थ्य सुविधाओं से आईडीएसपी-आईएचआईपी डेटा इंगित करता है कि जनवरी 2023 के दौरान, देश से तीव्र श्वसन बीमारी/इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (एआरआई/आईएलआई) के कुल 397,814 मामले सामने आए थे, जो फरवरी 2023 के दौरान थोड़ा बढ़कर 436,523 हो गए। मार्च 2023 के पहले 9 दिनों में, यह संख्या 133,412 मामले हैं।
गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी के भर्ती मामलों के संबंधित आंकड़े जनवरी 2023 में 7041 मामले, फरवरी 2023 के दौरान 6919 और मार्च 2023 के पहले 9 दिनों के दौरान 1866 हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस साल फरवरी में कुल 955 एच1एन1 के मामले सामने आए हैं। एच1एन1 के अधिकांश मामले तमिलनाडु (545), महाराष्ट्र (170), गुजरात (74), केरल (42) और पंजाब (28) से सामने आए हैं।
मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है जो दुनिया के सभी हिस्सों में फैलता है, और वैश्विक स्तर पर कुछ महीनों के दौरान मामलों में वृद्धि देखी जाती है। भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के दो शिखर देखे जाते हैं: एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम