नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)। मणिपुर की 10 समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ कांग्रेस ने शनिवार को पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए। कांग्रेस ने कहा कि वो पीएम मोदी के साथ गहराई से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उनसे मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, मणिपुर के दस विपक्षी दल प्रधानमंत्री से अपॉइंटमेंट का इंतजार कर रहे हैं। इन दस पार्टियों, कांग्रेस, जद (यू), भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, आप, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, शिवसेना (यूबीटी), राकांपा और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि 20 जून को अमेरिका रवाना होने से पहले वह विपक्षी दलों से मिलेंगे। ये सभी नेता राष्ट्रीय राजधानी में इंतजार कर रहे हैं और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 20 जून तक रुकेंगे।
केंद्र की भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए रमेश ने कहा, मणिपुर 22 साल पहले 18 जून 2001 को जला था। विधानसभा अध्यक्ष के बंगले, सीएम सचिवालय को आग के हवाले कर दिया गया था और साढ़े तीन महीने तक चक्का जाम रहा था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी दलों की मांग पर दो बार सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और उन्होंने शांति की अपील की थी।
राज्यसभा सांसद रमेश ने कहा कि आज 10 दलों के नेता पीएम मोदी से मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वह चुप हैं। यह स्पष्ट है कि हमें राज्य सरकार में कोई विश्वास नहीं है और हम केवल केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर सकते हैं, क्योंकि राज्य सरकार पूरी तरह से विफल रही है। गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
रमेश ने कहा, हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री वाजपेयी की अपील देखें और प्रतिनिधिमंडल से भी मिलें। मन की बात के बजाय उन्हें मणिपुर की बात करनी चाहिए।
मणिपुर के पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि 3 मई से राज्य जल रहा है। महिलाओं और बच्चों सहित 20,000 लोगों ने शिविरों में शरण ली हुई है, हर जगह हाहाकार मचा हुआ है। हालांकि, प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर को लेकर कुछ भी नहीं कहा है। मणिपुर भारत का हिस्सा है या नहीं? अगर है तो भारत के प्रधानमंत्री ने इसके बारे में क्यों नहीं बोला? हम, समान विचारधारा वाले 10 राजनीतिक दलों ने शांति की वकालत करते हुए ज्ञापन तैयार किया है।
उन्होंने आगे कहा कि हम यहां राजनीतिक लाभ के लिए नहीं हैं। बल्कि, हम केवल शांति चाहते हैं। कृपया हमारी मदद करें। बता दें कि मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 120 से अधिक लोग मारे गए हैं और 400 से अधिक घायल हुए हैं।
–आईएएनएस
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