इंफाल, 21 सितंबर (आईएएनएस)। मणिपुर के पांच घाटी जिलों में पांच ‘ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवकों’ की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर 48 घंटे के बंद के बाद विभिन्न नागरिक समाज संगठनों ने गुरुवार से “सामूहिक अदालत गिरफ्तारी” शुरू कर दी, जिस कारण कई जिलों में सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं।
हजारों आंदोलनकारियों, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं, ने घाटी के पांच जिलों – बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर धावा बोलने की कोशिश की, लेकिन रैपिड एक्शन फोर्स और अन्य सुरक्षा बलों की विशाल टुकड़ी ने आंसूगैस के गोले दागकर उन्हें रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर बैरिकेड तोड़ दिए और सुरक्षा बलों के लिए स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए एक चुनौतीपूर्ण कार्य करना पड़ा।
जिला अधिकारियों ने घाटी के विभिन्न जिलों में नियमित कर्फ्यू छूट अवधि रद्द कर दी है।
पांच ‘ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवकों’ की बिना शर्त रिहाई की मांग को लेकर राज्यभर के विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय क्लबों द्वारा बुलाए गए 48 घंटे के बंद से मैतेई समुदाय के प्रभुत्व वाले पांच घाटी जिलों में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
बुधवार और गुरुवार की दरमियानी रात को बंद ख़त्म हुआ।
पुलिस अधिकारियों ने पहले कहा था कि मणिपुर पुलिस ने शनिवार को छद्म वर्दी में अत्याधुनिक हथियारों लैस पांच लोगों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तारी के विरोध में रविवार को बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं सामने आईं और गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग करते हुए इंफाल पूर्वी जिले के पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन पर धावा बोलने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने आंसूगैस के गोले दागकर पुलिस स्टेशन पर हमले को विफल कर दिया।
नागरिक समाज संगठनों ने पहले पांचों बंदियों को रिहा करने की समय-सीमा तय की थी, लेकिन पुलिस ने मांग खारिज कर दी।
आंदोलनकारी संगठनों ने पहले धमकी दी थी कि अगर सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात से शुरू हुए 48 घंटे के बंद के बाद ‘स्वयंसेवकों’ को रिहा नहीं किया गया तो वे आंदोलन तेज कर देंगे।
बड़ी घटनाओं से बचने के लिए राज्य के विभिन्न संवेदनशील, संवेदनशील और मिश्रित आबादी वाले इलाकों, खासकर घाटी के जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
आंदोलनकारी संगठनों के प्रवक्ता एम. मेमचा ने दावा किया कि ग्राम सुरक्षा स्वयंसेवक “कुकी आदिवासियों और सशस्त्र उग्रवादियों के हमलों से मैतेई ग्रामीणों की रक्षा कर रहे थे।”
–आईएएनएस
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