इंफाल, 15 जून (आईएएनएस)। मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जातीय हिंसा जारी है, ऐसे में विभिन्न समुदायों के 15 संगठनों ने संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को एक ज्ञापन सौंपकर पूर्वोत्तर राज्य में जारी संकट को खत्म करने में उनकी मदद मांगी है।
मणिपुर स्थित 15 संगठनों ने अपने संयुक्त ज्ञापन में भुखमरी, गरीबी, सैन्यीकरण, केंद्रीय सुरक्षा बलों की पक्षपातपूर्ण भूमिका और कुकी उग्रवादियों द्वारा त्रिपक्षीय ऑपरेशन निलंबन (एसओओ) समझौते के उल्लंघन के मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया।
उन्होंने महासचिव, संयुक्त राष्ट्र, रेडक्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति, जिनेवा, अवर महासचिव, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर), संयुक्त राष्ट्र नागरिक समाज अनुभाग, एमनेस्टी इंटरनेशनल और आईसीआरसी को ज्ञापन सौंपा। इंडिया चैप्टर और यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम, एशिया।
15 संगठनों में से एक, ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (एएमयूसीओ) के एक प्रवक्ता ने कहा कि विदेशी चिन-कूकी-मिजो (म्यांमार) के भाड़े के सैनिकों ने मणिपुर में जातीय हिंसा भड़काई। इनकी स्पष्ट संलिप्तता के कारण मणिपुर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतर-सामुदायिक संबंध बिगड़े और शांति भंग हुई।
उन्होंने दावा किया कि स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों के अनुसार निष्पक्ष अंतर्राष्ट्रीय ध्यान और हस्तक्षेप समय की जरूरत है।
ज्ञापन ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य निकायों का ध्यान मानव अधिकारों के उल्लंघन और इंफाल-दीमापुर राष्ट्रीय राजमार्ग की नाकाबंदी के मुद्दों की ओर खींचा, जो कुकी उग्रवादी समूहों और उनके सहायक संगठनों द्वारा मणिपुर की जीवन रेखा है।
एएमयूको के प्रवक्ता ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र और भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में ड्रग कार्टेल और इसके लगातार बढ़ते वित्तपोषण नेटवर्क के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के समक्ष रखा गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि मानव तस्करी, अफीम की खेती, वनों की कटाई, अवैध आप्रवासन, पारिस्थितिक मुद्दों और अंतरिक्ष राजनीति जैसी सीमा पार कपटपूर्ण आर्थिक गतिविधियों ने राज्य की स्थिति को जटिल बना दिया है।
ज्ञापन में कहा गया है, मणिपुर में स्वतंत्र संवैधानिक और आधुनिक राज्य बनाने की प्रक्रिया में नगा, मैतेई, कुकी और पंगल (मणिपुर मुस्लिम) की लोकतांत्रिक भागीदारी को संयुक्त राष्ट्र को मणिपुर के भ्रातृ राजनीतिक इतिहास से परिचित कराने के लिए रेखांकित किया गया है।
यह मणिपुर की आपस में जुड़ी स्थलाकृति पर जोर देता है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह अवगत कराता है कि छोटी मणिपुर घाटी राज्य की लगभग 60 प्रतिशत आबादी का घर है जो एक लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण भूमि कानूनों की कल्पना करने के लिए वारंट करती है।
जनसांख्यिकी और भू-राजनीति के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए ज्ञापन में विदेशियों की आमद, नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने में केंद्र की ओर से अक्षमता और जो एक्सक्लूसिव ग्रेटर होमलैंड टेरिटोरियल प्रोजेक्ट को प्रमुख चिंताओं के रूप में बताया गया है। मणिपुर में जातीय सद्भाव, अखंडता और शांति के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
ज्ञापन में यह सुनिश्चित करने, जिम्मेदारी से कार्य करने और संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करने का आग्रह किया गया है, ताकि विस्थापित समुदाय अपने मूल बस्ती क्षेत्रों में वापस आ सकें।
एएमयूसीओ के अलावा, 15 संगठनों में मानवाधिकार समिति (सीओएचआर), राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (एनआरसी), पोरी लीमारोल मीरापैबी अपुनबा लुप मणिपुर (पीएलएमपीएएम), स्वदेशी पीपुल्स फोरम (आइपीएफ), सभी मणिपुर महिला स्वैच्छिक संघ (एएमएडब्ल्यूओवीए), इराबोट फाउंडेशन मणिपुर (आईएफएम), मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ), ऑल मणिपुर एथनिकल सोशियो कल्चरल ऑर्गनाइजेशन (एएमईएससीओ) और ऑल मणिपुर मेइती पंगल क्लब ऑर्गनाइजेशन (एएमएमपीसीओ) शामिल हैं।
–आईएएनएस
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