भोपाल, 27 मार्च (आईएएनएस)। मादा चीता शाशा, जिसे आठ नामीबिया चीतों के पहले बैच में भारत लाया गया था और मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था, उसे सोमवार को मृत घोषित कर दिया गया, अधिकारियों के मुताबिक शाशा की मौत रीनल इंफेक्शन की वजह से हुई है।
वन्यजीव अधिकारियों के पहले के बयानों के अनुसार, शाशा गुर्दे के संक्रमण से पीड़ित थी और वन्यजीव डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक टीम उसका इलाज कर रही थी। अधिकारियों ने पहले कहा था कि उसकी हालत में सुधार हो रहा है।
शाशा उन तीन चीतों में से एक थी, जिन्हें मार्च की शुरूआत में जंगल में नहीं छोड़ा गया था। शाशा क्वारंटाइन बोमा में थी और शिकारी-मुक्त बाड़े में शिफ्ट होने वाली थी। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि कमजोरी के कारण उसे भैंस का मांस दिया जा रहा था।
आधिकारिक सूत्रों ने चीता की मौत की पुष्टि की है, लेकिन राज्य सरकार के अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है। एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए आईएएनएस को बताया, आज (सोमवार) दोपहर डॉक्टरों के इलाज के दौरान शाशा ने अंतिम सांस ली। कहा जा रहा है कि उसकी मौत किडनी में संक्रमण की वजह से हुई है, लेकिन पोस्टमार्टम से ही मौत की असली वजह का पता चलेगा।
इस बीच, रिपोटरें में बताया गया है कि पशु चिकित्सकों ने शाशा में निर्जलीकरण और गुर्दे के संक्रमण के लक्षण पाए। शाशा उन नामीबियाई चीतों में से एक थी, जिन्हें 17 सितंबर को भारत लाया गया था। परियोजना में दो चरणों में कुल 12 चीतों (नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 4) को छोड़ा गया था। पांच साल की शाशा के निधन से भारत के ड्रीम प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम