मुंबई, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर विपक्ष हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए देश में विविधता में एकता के विचार को मिटाने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की गुजारिश की।
नई शिक्षा नीति के तहत महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा को स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य करने का फैसला किया है। कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “भाषा को लेकर सरकार ने जो कदम उठाया है, वह गलत है। मातृभाषा जरूरी है, मराठी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति भी है। महाराष्ट्र के लोगों की यह अस्मिता है। सरकार ने हमारी अस्मिता के साथ बहुत ही घिनौना खिलवाड़ किया है। महाराष्ट्र सरकार के इस खिलवाड़ से बच्चे किसी काम के नहीं रहेंगे।”
उन्होंने कहा, “सरकारी स्कूलों को बंद करके सभी बच्चों को निजी स्कूल में भेजने की सरकार साजिश रच रही है। हिंदी भाषा को लागू करने पर बहुत सारे मुद्दे आ जाएंगे, जिससे बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। हमारी सभ्यता भी इसकी पढ़ाई रोकती है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने यह बहुत ही गलत कदम उठाया। इसके पीछे उनकी राजनीति है।”
देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताते हुए उन्होंने कहा, “वे (भाजपा के नेता) ‘विविधता में एकता’ वाले भारत के विचार को मिटाना चाहते हैं। वे सारी संस्कृतियों और भाषाओं को मिटाना चाहते हैं। वे ‘हिंदी, हिंदुस्तान और हिंदू’ लाइन को स्थापित करना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो देश की एकता और अखंडता बच नहीं सकती। हम उन्हें इसके लिए आगाह करते हैं और गुजारिश करते हैं कि वे जल्द से जल्द यह फैसला वापस लें।”
–आईएएनएस
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