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Home ताज़ा समाचार

महाराष्ट्र : लोकसभा सीट-बंटवारे को लेकर खींचतान से एमवीए के सहयोगी दल ‘तनाव’ में

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December 28, 2023
in ताज़ा समाचार
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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

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सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

एसजीके

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

एसजीके

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

एसजीके

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

एसजीके

मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

एसजीके

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

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मुंबई, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सीट बंटवारे को लेकर खींचतान से विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगी, खासकर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) तनाव में हैं।

शिवसेना (यूबीटी) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की 48 में से 23 सीटों की बड़ी हिस्सेदारी की मांग की है, जिससे कांग्रेस और यहां तक कि शरद पवार की अध्यक्षता वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में भी घबराहट है।

सांसद और शिवसेना (यूबीटी) के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा दोहराई है – जिससे कांग्रेस और एनसीपी (एसपी) के लिए सिर्फ 25 सीटें बचेंगी। साथ ही, अन्य सहयोगी छोटी पार्टियों को भी समायोजित करनी पड़ सकती है।

राज्य कांग्रेस के नेताओं ने शिवसेना-यूबीटी के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि पार्टी (जुलाई 2022 में) विभाजित हो गई है और इसके कई सांसद अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हैं, इसलिए पार्टी को इतने सारी संसदीय सीटें नहीं दी जा सकतीं।

पलटवार करते हुए राउत ने कहा कि यह तय करना कांग्रेस का काम नहीं है कि पार्टी टूट गई है, इसलिए ज्‍यादा सीटें नहीं मिलेंगी। उन्‍होंने कहा, भले ही कई सांसदों और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी हो, लेकिन पार्टी के मतदाता अभी भी ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट के साथ हैं।

राउत ने कहा, “राज्य कांग्रेस के सभी बड़े या छोटे फैसले दिल्ली में लिए जाते हैं… इसलिए हमने इंडिया ब्लॉक के चौथे सम्मेलन के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी से बात की है। हमने महाराष्ट्र लोकसभा सीट आवंटन पर चर्चा के लिए अपना विचार व्यक्त किया और कांग्रेस नेताओं ने इसका स्वागत किया है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ कोई आधिकारिक चर्चा नहीं हुई है, और इस स्तर पर राज्य में विशिष्ट सीटों के लिए व्यक्तिगत दावों पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

राउत ने अपने तर्कों को पुष्ट करते हुए कहा कि जब एकीकृत शिवसेना ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 (2019 में) हासिल की थीं, तब कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट (चंद्रपुर) जीती थी, उसे यह ध्‍यान में रखते हुए फिर से सोचना चाहिए।

एक अन्य कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम ने भी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर शिवसेना-यूबीटी 23 सीटें ले लेती है, तो “कांग्रेस के लिए क्या बचेगा”।

राउत ने कहा, “हम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं, और हम इसे विश्‍वास के साथ और जिम्मेदारी के साथ कह रहे हैं… अगर महाराष्ट्र कांग्रेस के कुछ नेताओं को समस्या है, तो हम उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं, आखिरकार उनका फैसला दिल्ली में लिया जाएगा।”

इस बीच, पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए 29 दिसंबर को दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक होगी, जिसमें महाराष्ट्र के नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। उन्‍होंने सीट आवंटन पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

राउत ने कहा कि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) को एमवीए और इंडिया गठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शरद पवार के साथ चर्चा की गई है। पवार ने हाल ही में यह भी कहा था कि उन्होंने खड़गे के साथ इस मुद्दे को उठाया था।

संयोग से, इस सप्ताह की शुरुआत में वीबीए ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए अपना स्वयं का फॉर्मूला पेश किया था – वीबीए, कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और एनसीपी (एसपी) के लिए प्रत्येक के लिए 12 सीटें।

चव्हाण ने कहा कि चाहे कोई भी कितनी भी सीटों का दावा कर रहा हो, “अगर वे गंभीरता से भाजपा को हराना चाहते हैं, तो सभी को 2024 का चुनाव लड़ने के लिए एकजुट होना चाहिए।”

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