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महिला का गुजारा भत्ता 5,000 से घटाकर 1,000 करने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी

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September 25, 2023
in राष्ट्रीय
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महिला का गुजारा भत्ता 5,000 से घटाकर 1,000 करने के झारखंड हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी
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रांची, 25 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर हैरानी जताई है, जिसमें एक महिला को उसके पूर्व पति द्वारा दी जाने वाली मेंटेनेंस की राशि 5,000 रुपए से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी गई थी। यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले का है।

यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

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इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया।

–आईएएनएस

एसएनसी

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रांची, 25 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर हैरानी जताई है, जिसमें एक महिला को उसके पूर्व पति द्वारा दी जाने वाली मेंटेनेंस की राशि 5,000 रुपए से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी गई थी। यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले का है।

यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया।

–आईएएनएस

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रांची, 25 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर हैरानी जताई है, जिसमें एक महिला को उसके पूर्व पति द्वारा दी जाने वाली मेंटेनेंस की राशि 5,000 रुपए से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी गई थी। यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले का है।

यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया।

–आईएएनएस

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यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया।

–आईएएनएस

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यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के रूप में महिला के प्रतिमाह 5,000 रुपये प्रतिमाह देने के आदेश को बहाल कर दिया।

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यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मेंटेनेंस की राशि 5,000 से घटाकर 1,000 रुपए प्रतिमाह कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि भरण-पोषण की राशि को घटाकर मात्र एक हजार रुपये प्रति माह कर देने का आदेश चौंकाने वाला है।

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यहां एक दंपति के बीच विवाद चल रहा था, जिसमें वहां की फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने पति को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रतिमाह 5,000 रुपए की मेंटेनेंस राशि देगा।। इस फैसले के खिलाफ महिला के पूर्व पति ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील की थी।

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