नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय शेयर बाजार के लिए अगला हफ्ता काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। कंपनियों की ओर से घोषित किए जाने वाले वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के नतीजे, खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़े बाजार की चाल को प्रभावित करेंगे।
इसके अलावा कच्चे तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव, डॉलर इंडेक्स की चाल और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियों का असर भी शेयर बाजार पर देखने को मिल सकता है।
बीते हफ्ते बाजार में कंसोलिडेशन देखने को मिला था। इस दौरान निफ्टी इंडेक्स 50 अंक या 0.20 प्रतिशत गिरकर 24,964 और सेंसेक्स 307 अंक या 0.38 प्रतिशत गिरकर 81,381 पर बंद हुआ। बाजार के गिरने की वजह एफआईआई की बिकवाली, मौद्रिक पैकेज के कारण चीन के बाजारों में तेजी को माना जा रहा है।
पिछले हफ्ते एफआईआई की ओर से करीब 28,000 करोड़ रुपये के शेयरों बिक्री की गई थी। इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेश (डीडीआई) की ओर से 31,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया गया।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख संतोष मीणा का कहना है कि अगले वैश्विक स्तर पर अमेरिका, जापान, चीन और यूरोप से आने वाले डेटा का बाजार पर सीधा असर देखने को मिल सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि निफ्टी का छोटी अवधि का बॉटम लेवल 24,750 है। निफ्टी में दोबारा से बड़ी तेजी 25,330 और 25,500 का स्तर तोड़ने के बाद ही आएगी। अगर निफ्टी 24,750 के स्तर को तोड़ता है तो यह 24,440 और 24,100 के स्तर पर जा सकता है।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटड की डायरेक्टर पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि बैंक निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है। मौजूदा समय में इसका सपोर्ट 50,600 पर है। अगर यह स्तर टूटता है तो 50,000 तक स्तर देखने को मिल सकता है। बैंक निफ्टी के लिए 51,700 एक अहम रुकावट का स्तर होगा। अगर यह इसे तोड़ता है तो 52,200 तक के स्तर देखने को मिल सकते हैं। इसमें निवेशकों को गिरावट पर खरीदारी की रणनीति को अपनाना चाहिए।
–आईएएनएस
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