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मिग-21 लड़ाकू विमान नहीं भरेंगे उड़ान, वायुसेना ने लगाई रोक

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May 20, 2023
in राष्ट्रीय
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मिग-21 लड़ाकू विमान नहीं भरेंगे उड़ान, वायुसेना ने लगाई रोक
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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

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गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने अपने मिग-21 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने पर रोक लगा दी है। मिग-21 फाइटर जेट बीते 5 दशकों से भारतीय वायुसेना के बेड़े का महत्वपूर्ण विमान है। वायुसेना के मुताबिक, यह रोक मिग-21 लड़ाकू विमानों के पूरे बेड़े पर लगाई गई है। बीते दिनों राजस्थान में हुई मिग-21 लड़ाकू विमान कि दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब वायुसेना ने यह निर्णय लिया है।

भारतीय वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 विमानों अपने बेड़े से बाहर करने की प्रक्रिया का पालन भी कर रही है। अगले 2 वर्षो में इन विमानों को भारतीय वायुसेना से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। भारतीय वायुसेना के मुताबिक, राजस्थान हादसे की जांच पूरी होने तक मिग-21 विमानों के बेड़े यह प्रतिबंध लागू रहेगा और भारतीय वायुसेना के यह लड़ाकू जहाज उड़ान नहीं भर सकेंगे।

गौरतलब है कि इसी महीने 8 मई को राजस्थान के सूरतगढ़ एयरबेस से मिग-21 बाइसन विमान ने उड़ान भरी थी और उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद मिग-21 फाइटर जेट हनुमानगढ़ के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में पायलट तो सुरक्षित बच गए, लेकिन तीन अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन हैं। इन 31 लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन में से तीन मिग-21 बाइसन श्रेणी के हैं। वायुसेना के मुताबिक, मिग-21 को 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में एंट्री मिली थी। इन लड़ाकू विमान के 800 संस्करण अभी तक सेवा में रहे हैं।

हालांकि अब बीते कुछ वर्षो में बार-बार मिग विमान हादसे का शिकार हो रहे हैं। इन हादसों के कारण एवं एक विमानों के संचालन पर प्रश्न उठने लगे हैं। इसी को देखते हुए चरणबद्ध तरीके से इन विमानों को बेड़े से बाहर करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान के साथ एलसीए मार्क 1ए और एलसीए मार्क 2 सहित स्वदेशी विमानों को शामिल करने पर भी विचार कर रही है।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि मिग-21 विमानों के पूरे बेड़े की जांच की जा रही है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य इन विमानों से जुड़ी दुर्घटना के कारणों का पता लगाना है। जांच पूरी होने तक व दुर्घटना के सटीक कारणों का पता लगने तक तक मिग-21 की उड़ान पर रोक लगाई गई है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिग-21 विमान वेरिएंट बीते पांच दशकों में भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन विमानों को धीरे-धीरे वायुसेना के बेड़े से बाहर निकालने की प्रक्रिया पहले से ही तय कर ली गई है। अधिकारियों के अनुसार, वायुसेना में फिलहाल केवल तीन मिग-21 स्क्वाड्रन काम कर रहे हैं और 2025 की शुरुआत तक इन सभी को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा।

वहीं, इस बीच भारत और इंडोनेशिया के बीच चौथा द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्र शक्ति-23, दक्षिण चीन सागर में संपन्न हुआ हो गया। समुद्री फेज एएसडब्ल्यू कार्वेट, आईएनएस कवरत्ती, चेतक हैलीकॉप्टर और एक डोर्नियर समुद्री पेट्रोल विमान की भागीदारी का साक्षी बना। इंडोनेशिया की नौसेना में केआरआई सुल्तान इसकानदार मुदा, पैंथर हैलीकॉप्टर और सीएन 235 समुद्री पेट्रोल विमान भी शामिल है। युद्धाभ्यास में पनडुब्बी रोधी हथियार, एयर डिफेंस हेलीकॉप्टर, ऑपरेशन फायरिंग के हथियार, सामरिक कुशलता सहित युद्धाभ्यासों की एक पूरी श्रृंखला जो दोनों नौ-सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ाने वाले युद्धाभ्यास किए गए।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस महत्वपूर्ण समुद्री फेज से पहले एक सफल बंदरगाह फेज भी हुआ जिसमें, दोनों देशों के अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श, टेबलटॉप अभ्यास और खेलों में आदान-प्रदान शामिल था।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि समुद्र शक्ति-23 युद्ध अभ्यास के सफल समापन ने सहयोगात्मक व्यवहार द्वारा क्षेत्र में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहन देने की दोनों नौ सेनाओं की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की और भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत साझेदारी का प्रदर्शन किया।

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