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Home ताज़ा समाचार

मुंबई में गणेश चतुर्थी की धूम, कलाकारों ने दी गणपति की मूर्तियों के बारे में जानकारी

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September 4, 2024
in ताज़ा समाचार
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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

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गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

एएस

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

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एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

एएस

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

–आईएएनएस

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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मुंबई, 4 सितंबर (आईएएनएस)। 7 सितंबर से शुरू होने वाले गणेश चतुर्थी के उत्सव को लेकर मुंबई में उत्साह का माहौल है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसके लिए मुंबई में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इस दौरान गणपति की मनमोहक मूर्तियां बनाई जा रही हैं। कलाकार अपने हाथों से मिट्टी को आकार देकर बप्पा को साकार रूप प्रदान कर रहे हैं। आईएएनस से इन कलाकारों से गणपति की मूर्तियों को तैयार करने के बारे में जानकारी ली।

ओंकार संतोष माड़े ने आईएएनएस को बताया, “यहां पर 25 साल से गणपति की मूर्ति बनाई जाती है। इसके लिए साडू मिट्टी और पीओपी का इस्तेमाल होता है। मूर्ति को रंग देने के लिए अलग प्रकार के कलर इस्तेमाल होते हैं। बॉडी कलर सदियों से इस्तेमाल हो रहा है। कलर के बाद सजावट के लिए मेटल वर्क, ज्वेलरी आदि की जाती है जो ग्राहक की डिमांड के अनुसार होती है। हम हर तरह के गणपति के रूप बनाते हैं। हम तीन चार महीने गणपति के साथ ही रहते हैं। जब गणपति चले जाते हैं तो कारखाना सूना लगता है।”

गणपति आर्ट के एक और कलाकार अजय गौड़ चार पांच साल से गणपति की मूर्तियों के लिए ज्वेलरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणपति के लिए मिट्टी का इस्तेमाल कम ही होता है। जिस तरह की डिमांड मंडल के लोगों की होती है, वैसे ही गणपति हम रेडी करते हैं।

एक और कलाकार ने आईएएनएस से कहा, “इस मंडप में 10-12 साल से गणपति की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सबसे ऊंची मूर्ति 25 फीट तक हो सकती है। मैं इस समय डायमंड वर्क कर रहा हूं जो सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ऑयल पेंट, बॉडी कलर यूज किया जाता है. हमारा तीन माह इसी में बीत जाता है।”

गणपति की मूर्तियां बनाने में सचिन जाधव नाम के कलाकार को करीब 20 साल हो चुके हैं। उनके पास कई पुराने ग्राहक आते हैं। उन्होंने बताया, “आप हमें जैसे फोटो देंगे हम वैसे ही गणपति तैयार कर देते हैं। मार्च के अंत तक यह कार्य शुरू हो जाता है। छोटी मूर्तियां साडू मिट्टी से बन जाती हैं लेकिन बड़ी मूर्तियों के लिए केवल पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है।”

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