जबलपुर, देशबन्धु. नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में मंगलवार चिकित्सकों की गजब की लापरवाही उस वक्त सामने आई जब चिकित्सक द्वारा एक मृत घोषित बुजुर्ग की सांसे मरचुरी ले जाते वक्त फिर से चलने लगी. बुजुर्ग को न सिर्फ चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था बल्कि उनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया था. बच्चों की अदला बदली के हालहीं में लगे आरोप की अभी जांच हो भी नहीं पाई थी.
इस सनसनीखेज मामले में नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रबंधन एक बार फिर गंभीर आरोपों से घिर गया हैं. प्रत्यक्षदर्शियों एवं परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार यहां भर्ती इंद्रजीत शुक्ला नामक मरीज को न सिर्फ चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र भी बना दिया. मेडिकल अस्पताल प्रबंधन ने इसे मानवीय भूल बताया हैं.
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परिजनों के अनुसार 67 वर्षीय इंद्रजीत शुक्ला को गंभीर स्वास्थ समस्याओं के चलते नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. बीते दिन डाक्टरों ने जांच के बाद शुक्ला को यह कहते हुए मृत घोषित कर दिया कि उनकी सांसे थम चुकी है. चिकित्सक के ऐसा कहने पर परिवार वाले जब वार्ड से स्ट्रेचर पर उन्हें मर्चुरी ले जा रहे थे, तभी कुछ ऐसा हुआ कि सभी सहम गए.
बुजुर्ग के बेटे व बहू ने देखा कि श्री शुक्ला की सांस चल रहीं हैं. उन्हें आभास हुआ कि उनके पिता अभी जीवित हैं. इस घटना के बाद तुरंत ही श्री शुक्ला के परिजन उन्हें लेकर वार्ड में पहुंचे. डॉक्टर को बताया गया कि जिन्हें मृत घोषित करते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, वे अभी भी जीतिव हैं उनकी सांस चल रही है.
इस पूरी घटना के बाद बुजुर्ग को फिर से वार्ड में भर्ती कर लिया गया
परिजनों का कहना है कि दस दिन पहले श्री शुक्ला को सीने दर्द की शिकायत के चलते एक हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंकित अग्रवाल के पास गए. जहां तीन ब्लॉकेज सामने आने के बाद उन्होंने अपने ही अस्पताल में हार्ट की बायपास सर्जरी की. दूसरे दिन पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने लगी. जिसके बाद गले में ट्यूब लगा दी गई, पेट में इंजेक्शन भी लगाए गए. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों से लाखों रुपए वसूल किए और जब हालात में सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए.
मरीज के परिजनों से कहा गया कि कहीं और ले जाए. मरीज की स्थिति देखते हुए दूसरे निजी अस्पतालों ने भर्ती नहीं किया गया तो अस्पताल प्रबंधन ने श्री शुक्ला को आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया. इस मामले को लेकर मेडिकल अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदार डाक्टरों का कहना है कि मामले में सर्जरी विभागाध्यक्ष से जांच रिपोर्ट मांगी गई है. यह एक मानवीय भूल भी हो सकती है.