अगरतला/शिलांग, 15 जनवरी (आईएएनएस)। पूर्वोत्तर के तीन में से दो राज्यों मेघालय व त्रिपुरा में होने वाला आगामी विधानसभा चुनाव पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए अग्निपरीक्षा साबित होगा। टीएमसी नेता और पार्टी की राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी मेघालय और त्रिपुरा में उम्मीदवार उतारेगी और नागालैंड में चुनाव नहीं लड़ेगी।
मेघालय में टीएमसी पहली पार्टी है, जिसने कुल 60 सीटों में से 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा (2010-2018) के नेतृत्व में 12 विधायक, जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी, नवंबर 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए, जिससे टीएमसी रातोंरात पूर्वोत्तर के इस राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई।
हालांकि विधानसभा चुनावों की घोषणा के कुछ हफ्ते पहले टीएमसी के दो विधायक विधानसभा छोड़कर हाल ही में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) में और एक अन्य भाजपा में शामिल हो गए।
तीन विधायकों के तृणमूल छोड़ने के बाद 60 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी की संख्या घटकर अब नौ रह गई है।
हालांकि मेघालय में टीएमसी नेताओं ने दावा किया कि हजारों एनपीपी कार्यकर्ता कुछ नेताओं सहित उनकी पार्टी में शामिल हो गए।
मतदाताओं को लुभाने के लिए टीएमसी सत्ता में आने पर महिला सशक्तिकरण के लिए मेघालय वित्तीय समावेशन (एमएफआई डब्ल्यूई) योजना शुरू करने का वादा किया है, जो राज्य में प्रति परिवार प्रति महिला 1,000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान करेगी। विधानसभा चुनाव फरवरी के अंत तक होने की उम्मीद है।
एमएफआईडब्ल्यूई, जिसे डब्ल्यूई कार्ड भी कहा जाता है, की घोषणा टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने 13 दिसंबर को शिलांग में की थी, जिससे राज्य में विवाद छिड़ गया था।
भाजपा ने आय समर्थन योजना लागू करने के अपने वादे के लिए टीएमसी के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराने की घोषणा की है।
राज्य तृणमूल के उपाध्यक्ष, जॉर्ज बी. लिंगदोह ने कहा कि वी कार्ड का विरोध भाजपा की गरीब-विरोधी राजनीति को उजागर करता है। वह दावा करते है कि योजना के लिए दो लाख परिवार पंजीकृत हो चुके हैं।
भाजपा की मेघालय इकाई के प्रमुख अर्नेस्ट मावरी ने कहा, तृणमूल ने यह खुलासा नहीं किया कि वह इस योजना के लिए धन कैसे जुटाएगा। इस तरह की योजना को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धाराओं के तहत एक भ्रष्ट और अनैतिक कार्य के रूप में देखा जाना चाहिए। इनका इरादा मतदाताओं को रिश्वत देना है।
पश्चिम बंगाल में वी कार्ड योजना विफल होने का दावा करते हुए भाजपा नेता ने तृणमूल पर झूठे वादे करने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि 1998 में अपनी स्थापना के बाद टीएमसी ने त्रिपुरा, मणिपुर और असम में अपना आधार बनाया, लेकिन वह इन राज्यों में इसे बरकरार नहीं रख सकी।
टीएमसी में शामिल अन्य दलों के सात विधायक अंतत: एक-एक करके पार्टी छोड़ दिया।
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत सुधीर मजुमदार, त्रिपुरा विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस के पूर्व नेता रतन चक्रवर्ती, आशीष साहा, सुबल भौमिक और अन्य 1998 में टीएमसी में चले गए और उनमें से अधिकतर 2001-2002 में कांग्रेस में लौट आए।
मजूमदार ने 1999 में टीएमसी के टिकट पर पश्चिम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दूसरा स्थान हासिल किया।
त्रिपुरा में वर्तमान में एकमात्र कांग्रेस विधायक सुदीप रॉय बर्मन, छह अन्य विधायक और कई नेता 2016 में कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए और अगले साल (2017) वे भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व मंत्री सुदीप रॉय बर्मन ने पिछले साल की शुरुआत में भाजपा छोड़ दी थी और पिछले साल जून के उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा के लिए फिर से चुने गए थे।
टीएमसी ने 2021 की शुरुआत में त्रिपुरा में तीसरे चरण में अपना संगठनात्मक कार्य शुरू करने के बाद राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए एक उम्मीदवार की तलाश की और आखिरकार अप्रैल 2022 में पूर्व कांग्रेस विधायक और भाजपा नेता सुबल भौमिक को इस पद पर नियुक्त किया।
लेकिन आंतरिक कलह के कारण टीएमसी ने 24 अगस्त, 2022 को भौमिक को पद से हटा दिया और पिछले साल 11 दिसंबर को त्रिपुरा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अनुभवी वकील पीयूष कांति विश्वास को पार्टी की त्रिपुरा इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया।
अप्रैल 2022 में असम राज्य कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सदस्य रिपुन बोरा के टीएमसी में शामिल होने के एक सप्ताह के भीतर, पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने उन्हें असम इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया था।
बोरा के साथ उनकी पत्नी और पूर्व कांग्रेस विधायक मोनिका बोरा और उनके बेटे और कई कांग्रेसी भी टीएमसी में शामिल हो गए।
टीएमसी नेता और पार्टी की राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव ने दावा किया कि उनकी पार्टी फरवरी में विधानसभा चुनाव के बाद मेघालय में सरकार बनाएगी।
अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की पूर्व प्रमुख देव, आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि एमडीए सरकार ने मेघालय के लोगों के लिए कुछ नहीं किया है और कांग्रेस अब इस पहाड़ी राज्य में अस्तित्वहीन हो गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं, नेताओं और समर्थकों पर अत्याचार और आतंक के अलावा बीजेपी ने भी त्रिपुरा में कुछ नहीं किया।
देव ने कहा, लोगों को यह भी एहसास हो गया है कि उन्होंने (भाजपा) 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले झूठे वादे किए थे।
उन्होंने कहा, अगर कांग्रेस और सीपीआई-एम गठबंधन करते हैं, तो कांग्रेस में और गिरावट आएगी। कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता कांग्रेस-सीपीआई-एम गठबंधन को स्वीकार नहीं करेंगे, क्योंकि वामपंथी कार्यकर्ताओं ने पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किया था।
यह दावा करते हुए कि लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे, देव ने कहा, इसलिए तृणमूल कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है, जो त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बना सकती है।
उन्होंने पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन की अध्यक्षता वाली टीआईपीआरए (टिपरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन) के साथ पार्टी के संभावित गठबंधन के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
–आईएएनएस
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