मनीला, 18 दिसंबर (आईएएनएस) । इंडोनेशिया में मौत की सजा पाई फिलीपीनी कैदी मैरी जेन वेलोसो आखिरकार बुधवार सुबह मनीला लौट आई। दो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच एक दशक से अधिक समय तक चली बातचीत के बाद उनकी वापसी मुमकिन हो सकी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनीला एयरपोर्ट पर वेलोसो का रिश्तेदारों और समर्थकों के एक छोटे ग्रुप ने आंसुओं के साथ स्वागत किया। स्वाग्त करने वालों में वेलोसो के दो बेटे भी शामिल थे जो अपनी मां की गिरफ्तारी के समय 1 और 6 वर्ष के थे।
वेलोसो ने विदेश में काम करने के लिए फिलीपींस छोड़ा था।
39 वर्षीय वेलोसो ने इंडोनेशिया के योग्याकार्टा में लगभग 15 साल तक जेल में रही। उन्हें 2010 में गिरफ्तार किया गया था। एयर पोर्ट पर उनेके सूटकेस में छिपाकर रखी गई 2.6 किलोग्राम हेरोइन बरामद हुई थी।
वेलोसो ने ड्रग तस्करी के आरोपों से इनकार किया और जोर देकर कहा कि उन्हें धोखा दिया गया। 2015 में उन्हें फायरिंग स्क्वाड मारने ही वाला था कि आखिरी समय में उन्हें राहत मिल गई।
फिलीपींस के विदेश मामलों के विभाग के अनुसार, इंडोनेशियाई अधिकारियों ने मंगलवार शाम को वेलोसो को फिलीपींस के अधिकारियों की हिरासत में सौंप दिया।
फिलीपींस ने वेलोसो की वापसी के लिए इंडोनेशियाई सरकार को धन्यवाद दिया। विदेश सचिव एनरिक मनालो ने कहा, “यह फिलीपींस और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमारे दोनों देशों के बीच विश्वास और मित्रता का प्रतीक है।”
मनीला पहुंचने के बाद वेलोसो को महिला सुधारात्मक जेल में ले जाया गया। फिलीपींस ने काफी पहले मृत्युदंड को समाप्त कर दिया है, जिससे उनकी फांसी की संभावना समाप्त हो गई है।
पिछले महीने, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड रोमुअलडेज मार्कोस ने खुलासा किया था कि इंडोनेशिया दोषी फिलिपिनी महिला को वापस भेजने पर सहमत हो गया है।
मार्कोस ने कहा था कि मैरी जेन वेलोसो इंडोनेशियाई जेल में 14 साल बिताने के बाद जल्द ही फिलीपींस वापस आ जाएंगी और वह फिलीपींस की जेल में ही रहेंगी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, मनीला ने लगातार जकार्ता से वेलोसो की क्षमा, सजा में छूट और प्रत्यर्पण की अपील की थी, ताकि वह फिलीपींस में अपनी सजा काट सकें।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भावुक वेलोसो ने मनीला जेल में मेडिकल जांच के बाद कहा, “मुझे उम्मीद है कि हमारे राष्ट्रपति (फर्डिनेंड मार्कोस) मुझे क्षमादान देंगे ताकि मैं अपने परिवार के पास वापस जा सकूं। मैं इंडोनेशिया की जेल में 15 साल तक उस अपराध के लिए बंद रही जो मैंने किया ही नहीं था।”
–आईएएनएस
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