जबलपुर. सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में यूनियन कार्बाइड से निकले जहरीले कचरे के संबंध में वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, यह बताते हुए राज्य ने अंडरटेकिंग दी है कि इस संबंध में सेमीनार से तथा जिला प्रशासन द्वारा वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रकाशित की जाएगी.
वैज्ञानिक व क्षेत्रीय नागरिकों एवं यूनिवर्सिटी की टीम बनाकर नागरिकों एवं वैज्ञानिकों के साथ चर्चा कर पीथमपुर में इस कचरे का उपचार, भंडारण व निस्तारण पर पूरी जानकारी दी जाएगी. इस अवधि में यदि किसी व्यक्ति को या क्षेत्र के नागरिकों को निस्तारण से निकले हुए धुएं एवं गैस के संबंध में यदि कोई समस्या है तो वैज्ञानिकों के माध्यम से इन समस्याओं का निराकरण किया जाएगा. लोगों के द्वारा उठाए गए प्रश्नों तथा उनके जवाबों को प्रिंट कर वह मीडिया व जनरल पब्लिक में सर्कुलेट किया गया है.
साइंटिफिक रिपोर्ट भी मीडिया में प्रकाशित की जाएगी. केन्द्र व प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व वैज्ञानिक जो इन बिंदुओं पर कार्य कर रहे वह इंसीनिरेशन से निकले हुए रसायन तथा उनके निस्तारण पर मानीटरिंग करेंगे. स्टेण्डर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर तैयार किया जायेगा. जिससे यदि कोई अवरोध पैदा होता है तो उनका निराकरण हो सके. राज्य सरकार औद्योगिक तथा क्षेत्रीय नागरिकों से चर्चा कर रही है.
उक्त जानकारी प्रदेश तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में डॉ. पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव द्वारा दायर याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान प्रस्तुत की गई. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश शिव कुमार सिंह तथा एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद ने सुनवाई के बाद जारी किये आदेश में बताया कि चूंकि यह मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है, अत: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर इस याचिका का निराकरण किया जाता है.
इसके पूर्व में याचिकाकर्ताओं की ओर एड. प्रभात यादव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर प्रार्थना की थी कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण में भूमि, जल तथा वायु में कोई विपरीत परिणाम नहीं होगा, यह शपथ-पत्र के साथ मुख्य सचिव मप्र शासन घोषणा करे. आयुक्त म्युनिसीपल कार्पोरेशन भोपाल, धार तथा पीथमपुर भी शपथ-पत्र प्रस्तुत करें कि उस क्षेत्र के लोगों को नुकसान नहीं होगा. प्रदेश सरकार कचरे के निस्तारण पर वैज्ञानिक रिपोर्ट समाचार पत्रों में प्रकाशित कर उसे सार्वजनिक करें.