भुवनेश्वर, 12 अगस्त (आईएएनएस)। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने यूनेस्को कलिंगा अवार्ड दोबारा शुरू करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र लिखा है। पत्र में पूर्व सीएम ने लिखा है कि यूनेस्को कलिंगा पुरस्कार विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है।
उन्होंने कहा, इसकी स्थापना बीजू पटनायक द्वारा की गई थी और 1952 में इसकी स्थापना के बाद से, अब तक 72 महान वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें 7 नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। यूनेस्को कलिंग पुरस्कार विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के क्षेत्र में भारत का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। पिछले कुछ वर्षों में, यह एक अत्यधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार रहा है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओडिया पहचान का प्रतीक भी बन गया है।
यूनेस्को कलिंग पुरस्कार के सफलतापूर्वक 50 वर्ष पूरे होने के बाद, वर्ष 2002 में जब स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री थे, तब यह निर्णय लिया गया था कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, ओडिशा सरकार और कलिंगा फाउंडेशन ट्रस्ट इस पुरस्कार के रूप में कार्य करेंगे। हालांकि, अब मुझे यह जानकर दुख हुआ कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस पुरस्कार के लिए समर्थन बंद करने का फैसला किया है।
‘कलिंग पुरस्कार’ सिर्फ ‘उड़िया गौरव’ का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसने वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के समूह में स्वतंत्र भारत के लिए एक विरासत स्थापित की है। कल्पना कीजिए कि 36 वर्षीय युवक के रूप में बीजू बाबू ने पेरिस की यात्रा करने और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित करने के लिए यूनेस्को के साथ बातचीत करने के लिए किस तरह के प्रयास किए होंगे। बीजू बाबू की यह दूरदर्शिता और साहस ओडिया की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है। अपनी भूमि के प्रति बीजू बाबू के प्रेम ने इस पुरस्कार का नाम ‘कलिंगा’ के नाम पर रखा, जिसने हमेशा ओडिशा के लोगों का उत्साह बढ़ाया है। इस प्रकार ‘कलिंग पुरस्कार’ सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार नहीं है, बल्कि यह एक महान विरासत है जिस पर ओडिशा के लोग गर्व करते हैं और पहचानते हैं।
–आईएएनएस
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