नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि उच्च रक्षा तैयारियों को पूरा करने के लिए सभी सरकारी योजनाओं जैसे, आत्मनिर्भरता, वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज, गति शक्ति और राष्ट्रीय रसद नीति से पारस्परिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से सुरक्षा कार्यक्रमों को संरेखित किया जाना चाहिए।
सीडीएस अनिल चौहान ने अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में सशस्त्र बलों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। जनरल अनिल चौहान, दिल्ली कैंट के मानेकशॉ सेंटर में सिविल मिल्रिटी इंटीग्रेशन, द वे फॉरवर्ड की विषयवस्तु पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में बोल रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत सोमवार को सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण को अपनाने में सेना तथा नौकरशाही की भूमिका पर विचार-विमर्श के साथ हुई।
सेमिनार का आयोजन नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) द्वारा किया गया था, जो एक स्वतंत्र विचार मंच के रूप में कार्य करता है। जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में सशस्त्र बलों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।
सेमिनार में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने अपना मुख्य भाषण देते हुए कई बिंदुओं पर अपने विचार रखे। उन्होंने खतरों का सही से आकलन करने, महत्वपूर्ण रणनीतिक दिशा-निर्देशों एवं दस्तावेजों को स्पष्ट करने, वांछित सैन्य क्षमताओं की पहचान करने, सक्षम नीतियों को तैयार करने पर चर्चा की। उन्होंने इसके लिए आवश्यक तालमेल के महत्व पर चर्चा की।
इस सेमिनार में सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं के विशिष्ट प्रतिभागियों के साथ-साथ रक्षा उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के प्रतिनिधि, कई वैचारिक मंच तथा शैक्षणिक संस्थान भाग ले रहे हैं। विचार-विमर्श के दौरान, सोमवार को कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने नौकरशाही-सैन्य एकीकरण की बारीकियों पर बातचीत की, जो एक राष्ट्र के रूप में भारत के व्यापक विकास के लिए अत्यधिक प्रासंगिक विषय है।
इसके अलावा कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा विविध एवं उपयोगी विचार साझा किए गए। इनमें पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार, डीएमए, अपर सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी, ओआरएफ डॉ. मनोज जोशी, सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से डॉ. अनीत मुखर्जी, वीआईएफ के निदेशक डॉ. अरविंद गुप्ता, यूपीएससी सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) और रक्षा मंत्रालय में प्रधान सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल विनोद खंडारे शामिल थे।
इस संगोष्ठी का दूसरा दिन रक्षा उद्योग एकीकरण से संबंधित चर्चाओं पर समर्पित किया जा रहा है, जिसके लिए आपसी तालमेल के माध्यम से सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं के साथ-साथ स्वदेशी रक्षा उद्योग के हितों के तालमेल की भी जरूरत है। मंगलवार को होने वाली चर्चा के प्रमुख वक्ताओं में तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। इनमें सेंटर फॉर एयरपावर स्टडीज के महानिदेशक एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त), पूर्व महानिदेशक आर्टिलरी लेफ्टिनेंट जनरल पी.आर. शंकर, भारत फोर्ज डिफेंस एंड एयरोस्पेस में अध्यक्ष राजिंदर सिंह भाटिया, भारतीय रक्षा लेखा सेवा से डॉ. भारतेंदु कुमार सिंह और प्रधान सलाहकार भारतीय उद्योग परिसंघ एवं सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स रियर एडमिरल प्रीतम लाल (सेवानिवृत्त) शामिल हैं।
–आईएएनएस
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