नई दिल्ली, 30 मार्च (आईएएनएस)। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के लिए 11 अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों (ओपीवी) और छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों के अधिग्रहण के लिए भारतीय शिपयार्ड के साथ 19,600 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
बाइ (इंडियन-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत 11 ओपीवी के अधिग्रहण के लिए अनुबंध पर गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के साथ कुल 9,781 करोड़ रुपये की लागत से हस्ताक्षर किए गए।
अगली पीढ़ी के 11 अपतटीय गश्ती जहाजों में से 7 जहाजों को जीएसएल और चार जहाजों को जीआरएसई द्वारा तैयार किया जाएगा। इन जहाजों को स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जाएगा। साथ ही जहाजों की डिलीवरी सितंबर 2026 में शुरू होगी।
अधिकारियों ने कहा कि इन जहाजों के अधिग्रहण से भारतीय नौसेना अपनी लड़ाकू क्षमता को बनाए रखने और विभिन्न परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगी जैसे कि एंटी-पायरेसी, काउंटर-घुसपैठ, एंटी-पोचिंग, एंटी-ट्रैफिकिंग, गैर-लड़ाकू निकासी संचालन, खोज और बचाव (एसएआर), अपतटीय संपत्तियों की सुरक्षा आदि।
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के साथ 9,805 करोड़ रुपये की लागत से छह अगली पीढ़ी के मिसाइल जहाजों (एनजीएमवी) के अधिग्रहण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। जहाजों की डिलीवरी मार्च 2027 से शुरू होगी।
एनजीएमवी स्टील्थ, हाई स्पीड और आक्रामक क्षमता वाले भारी हथियारों से लैस युद्ध पोत होंगे। जहाजों की प्राथमिक भूमिका दुश्मन के युद्धपोतों, व्यापारियों और जमीनी ठिकानों के खिलाफ आक्रामक क्षमता प्रदान करना होगा।
इन जहाजों के स्वदेशी निर्माण से एमएसएमई सहित भारतीय जहाज निर्माण और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। बयान में कहा गया है कि स्वदेशी निमार्ताओं से प्राप्त अधिकांश उपकरणों और प्रणालियों के साथ, ये पोत आत्मानिर्भर भारत के गौरवशाली ध्वजवाहक होंगे।
–आईएएनएस
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