कोलकाता, 19 जून (आईएएनएस)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ से संपर्क किया और पश्चिम बंगाल पुलिस पर इस साल की शुरुआत में राज्य में रामनवमी संघर्ष से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सौंपने में असहयोग का आरोप लगाया।
एनआईए ने 27 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के एक आदेश के बाद मामले की जांच शुरू की है। पीठ ने राज्य पुलिस को अगले दो सप्ताह के भीतर मामले से संबंधित सभी दस्तावेज एनआईए को सौंपने का भी निर्देश दिया था।
एनआईए ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि चूंकि राज्य पुलिस सहयोग नहीं कर रही है और मामले से संबंधित सभी दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया में देरी कर रही है, इसलिए एजेंसी जांच की गति तेज करने में असमर्थ है।
इस बीच, राज्य सरकार ने तर्क दिया है कि उसने पहले ही कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और मामले की सुनवाई वहां लंबित है।
हालांकि, एनआईए ने राज्य सरकार के तर्क का खंडन करते हुए दावा किया है कि चूंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आया है, इसलिए केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच जारी रखेगी। एनआईए की दलील सुनने के बाद जस्टिस मंथा ने याचिका स्वीकार कर ली। मामले की सुनवाई 21 जून को होने की उम्मीद है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल को इस मामले में एनआईए जांच का आदेश देते हुए कहा था कि यह राज्य पुलिस की क्षमता से बाहर है कि वे उन लोगों को ढूंढ सकें जो संघर्ष के लिए जिम्मेदार थे या जिन्होंने उन्हें उकसाया था, इसलिए केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच जरूरी थी।
इससे पहले, इसी खंडपीठ ने अशांत क्षेत्रों में घरों की छतों से पथराव के संबंध में राज्य पुलिस की खुफिया शाखा की दक्षता पर भी सवाल उठाया था।
–आईएएनएस
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