नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने मंगलवार को कहा कि देश को दयालु पूंजीवाद (कंपैशनेट कैपिटलिज्म) अपनाने की जरूरत है।
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
उन्होंने आगे कहा कि बदले में भारत को भी यह सुनिश्चित करके पूंजीवाद के बारे में लोगों को आराम देना चाहिए कि सभी को उच्च विकास और उच्च आय प्रदान की जाए। छंटनी के मुद्दे पर नारायण मूर्ति ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक विश्वव्यापी परिघटना बन गई है क्योंकि कई कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं।
नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने मंगलवार को कहा कि देश को दयालु पूंजीवाद (कंपैशनेट कैपिटलिज्म) अपनाने की जरूरत है।
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
उन्होंने आगे कहा कि बदले में भारत को भी यह सुनिश्चित करके पूंजीवाद के बारे में लोगों को आराम देना चाहिए कि सभी को उच्च विकास और उच्च आय प्रदान की जाए। छंटनी के मुद्दे पर नारायण मूर्ति ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक विश्वव्यापी परिघटना बन गई है क्योंकि कई कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं।
नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने मंगलवार को कहा कि देश को दयालु पूंजीवाद (कंपैशनेट कैपिटलिज्म) अपनाने की जरूरत है।
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
उन्होंने आगे कहा कि बदले में भारत को भी यह सुनिश्चित करके पूंजीवाद के बारे में लोगों को आराम देना चाहिए कि सभी को उच्च विकास और उच्च आय प्रदान की जाए। छंटनी के मुद्दे पर नारायण मूर्ति ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक विश्वव्यापी परिघटना बन गई है क्योंकि कई कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं।
नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।
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ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
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नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।
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नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
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नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
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ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
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नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
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ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
उन्होंने आगे कहा कि बदले में भारत को भी यह सुनिश्चित करके पूंजीवाद के बारे में लोगों को आराम देना चाहिए कि सभी को उच्च विकास और उच्च आय प्रदान की जाए। छंटनी के मुद्दे पर नारायण मूर्ति ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक विश्वव्यापी परिघटना बन गई है क्योंकि कई कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं।
नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।
–आईएएनएस
एफजेड/एएनएम
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नई दिल्ली, 21 फरवरी (आईएएनएस)। इंफोसिस के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ने मंगलवार को कहा कि देश को दयालु पूंजीवाद (कंपैशनेट कैपिटलिज्म) अपनाने की जरूरत है।
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के लिए यहां आए नारायण मूर्ति ने कार्यक्रम से इतर कहा, दयालु पूंजीवाद को सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए।
ब्रेन ड्रेन के कारण मानव संसाधनों के नुकसान पर एक प्रश्न को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब देश के नेता यह सुनिश्चित करें कि भारतीय युवाओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
उन्होंने आगे कहा कि बदले में भारत को भी यह सुनिश्चित करके पूंजीवाद के बारे में लोगों को आराम देना चाहिए कि सभी को उच्च विकास और उच्च आय प्रदान की जाए। छंटनी के मुद्दे पर नारायण मूर्ति ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह एक विश्वव्यापी परिघटना बन गई है क्योंकि कई कंपनियां इसमें शामिल हो रही हैं।
नारायण मूर्ति ने 2001 में इंफोसिस द्वारा मंदी का सामना करने का उदहारण देते हुए कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन ने सबसे बड़ी वेतन कटौती की, जिसके बाद अगले स्तर पर थोड़ा कम वेतन कटौती हुई। ऐसी स्थितियों में, युवाओं की गलती नहीं है क्योंकि यह कंपनियां हैं जो मंदी के पूवार्नुमान को देखने में विफल रहती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मंदी व्यापार चक्र का हिस्सा है। यह किसी भी निगम के अस्तित्व का हिस्सा है। इसके अलावा इंफोसिस के संस्थापक ने अन्य पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि विनिर्माण उत्पादकता में सुधार हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब युवा पहले की तुलना में विनिर्माण के प्रति अधिक अभ्यस्त हैं।