नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कांग्रेस नेता, सांसद और लोकसभा में एलओपी राहुल गांधी के सितंबर में अमेरिका दौरा और उनके लंदन यात्रा के दौरान खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान से मुलाकात की खबर पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।
आईएएनएस की तरफ से उनसे सवाल किया गया कि, ऐसी खबरें हैं कि राहुल गांधी सितंबर में अमेरिका का दौरा करेंगे। उनके आयोजन और कार्यक्रम क्या होंगे? चूंकि चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है, क्या राहुल गांधी की अमेरिकी यात्रा स्थगित हो जाएगी?
इस पर सैम पित्रोदा ने कहा कि, उनके दौरे के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हम इस पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है, जब तारीखें फाइनल हो जाएंगी तो हम इस बारे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। यदि यात्रा स्थगित हो जाती है, तो यह उनका निर्णय होगा। वह (राहुल गांधी) अपने कार्यक्रम के आधार पर निर्णय लेंगे।
वहीं राहुल गांधी की लंदन यात्रा के दौरान खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान से मुलाकात की खबर और इस मुलाकात की वजह क्या थी? यह पूछे जाने पर सैम पित्रोदा ने कहा कि सबसे पहले, यह गलत है। मैं हर समय राहुल गांधी के साथ था, लेकिन लोग झूठ बोलते हैं। भारत में झूठ बोलना एक साधारण बात है। इस तरह की गलत सूचनाएं लगातार चलती रहती हैं। मैं इस तरह की जानकारी पर ध्यान नहीं देता। लोगों को झूठ बोलने के लिए पैसे मिलते हैं, तो आप क्या करते हैं? आप इसके साथ रहते हैं।
वहीं जब आईएएनएस की तरफ से उनसे सवाल किया गया कि आप एक बार फिर ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं। क्या विरासत कर पर आपके बयान की गलत व्याख्या की गई या उसे संदर्भ से बाहर कर दिया गया? तो सैम पित्रोदा ने कहा कि, मैंने जो कहा, उस पर कायम हूं। मैं जानता हूं कि भारत में ट्रोल और झूठ बोलने वाले लोग हैं और लोगों को हमला करने के लिए पैसे दिए जाते हैं और मैं इसे पैकेज के हिस्से के रूप में लेता हूं। मैंने कभी नहीं कहा कि भारत में विरासत कर लागू किया जाना चाहिए। मैंने कहा कि अमेरिका में ऐसा ही होता है, जो ठीक है। अगर मैं कहता भी तो भारत में ऐसी व्यवस्था है कि संसद में बहस होगी, चर्चा होगी, वोटिंग होगी। ये बातें सिर्फ सैम पित्रोदा के कहने से नहीं होती।
यदि आप चुनाव के दौरान अर्थव्यवस्था, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी जैसी महत्वपूर्ण बातचीत से ध्यान भटकाना चाहते हैं, तो आप सैम पित्रोदा के पीछे चले जाते हैं। यह सोशल मीडिया पर ऐसे काम करने के लिए नियुक्त लोगों के एक समूह द्वारा किया गया एक संगठित हमला है।
एक और उदाहरण है जब मैंने विविधता के बारे में बात की। यह 10 दिनों तक मीडिया पर था और किसी ने इसके बारे में बात नहीं की, लेकिन अचानक प्रधानमंत्री ने बात की और यह राष्ट्रीय टेलीविजन पर एक बड़ा मुद्दा बन गया।
–आईएएनएस
जीकेटी/