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Home खेल

रोइंग से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को मिलेगी भविष्य की नई राह

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June 4, 2023
in खेल
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रोइंग से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को मिलेगी भविष्य की नई राह
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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

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रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

विकेटी/सीबीटी

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

विकेटी/सीबीटी

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

–आईएएनएस

विकेटी/सीबीटी

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गोरखपुर, 4 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रामगढ़ताल से शुरू हुई रोइंग खेल प्रतियोगिता से पारंपरिक नाविक परिवारों के बच्चों को भविष्य की नई राह मिलेगी।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में पहली बार रोइंग को शामिल किया गया और इसकी मेजबानी रामगढ़ताल को मिली। रोइंग प्रतियोगिता के बाद देश में रोइंग के लिए सबसे बेहतरीन ताल के रूप में रातगढ़ताल को पहचान मिल चुकी है।

रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफआई) रामगढ़ताल को उत्तर भारत की नई रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी के रूप में देख रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूर्वी उत्तर प्रदेश समूचे देश के लिए रोइंग खिलाड़ियों की सबसे बड़ी नर्सरी बन जाएगा।

इसका कारण यह है कि मछुआ बहुल पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में बच्चे होश संभालने के साथ नाव चलाने में भी पारंगत हो जाते हैं। उन्हें खिलाड़ी बनने के लिए रोइंग प्रतियोगिता के अनुरूप बस टेक्निकल ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी। ट्रेनिंग से वे स्पोर्टी रोवर बनकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के काबिल हो जाएंगे।

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह क्षेत्र है। यहां करीब 1700 एकड़ के दायरे में फैले विशाल रामगढ़ताल कभी उपेक्षा का शिकार था। योगी ने दूरदर्शिता के साथ इसका कायाकल्प कराया है। पर्यटन के लिहाज से विकसित कराने के साथ ही ताल के समीप उन्होंने 45 करोड़ रुपये की लागत से वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स भी बनवाया है।

इसके पीछे मंशा वाटर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलने की है। मुख्यमंत्री खुद कई बार इसका उल्लेख कर चुके हैं। ओलंपिक में वाटर स्पोर्ट्स की रोइंग प्रतियोगिता में करीब 14 कैटगरी (महिला-पुरुष) में पदकों की दौड़ होती है।

ऐसे में रामगढ़ताल और वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को ट्रेनिंग प्लेटफार्म बनाकर ओलंपिक पोडियम की ओर भी देखा जा सकता है। वैसे तो वाटर स्पोर्ट्स का क्षेत्र ओपन फॉर आल श्रेणी का है, लेकिन सरकार का खास फोकस उन युवाओं पर है, जो मछुआ परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मछुवा परिवारों के बच्चों में पारिवारिक परिवेश के मुताबिक नाव चलाने के नैसर्गिक गुण होते हैं।

यह सच है कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुतायत बच्चों-युवाओं में नाव चलाने की कुशलता होने के बावजूद वह रोइंग जैसी प्रतियोगिता से अनभिज्ञ रहे हैं। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता से यह अनभिज्ञता निश्चित ही कुछ हद तक दूर हुई है। यूपी रोइंग एसोसिएशन के सचिव सुधीर शर्मा का कहना है कि गोरखपुर में हुई रोइंग प्रतियोगिता ने नई जागरूकता पैदा की है।

अब यदि गोरखपुर में बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो जाए तो यहां के युवा एशियाड व ओलंपिक तक जा सकते हैं। और, प्रशिक्षण के लिए रामगढ़ताल से बेहतर वेन्यू नहीं हो सकता। शर्मा के मुताबिक गोरखपुर में प्रशिक्षण की सुविधा से पारंपरिक नाविकों के परिवार के बच्चों को सबसे अधिक फायदा होगा। चप्पू चलाना तो उनके खून में है। ट्रेनिंग से यह खून नेशनल-इंटरनेशनल लेवल पर पदक जीतने को उबाल मारेगा।

रोइंग प्रतियोगिता के दौरान रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष एवं भारतीय ओलंपिक संघ की उपाध्यक्ष राजलक्ष्मी सिंह देव का भी गोरखपुर आना हुआ। रामगढ़ताल और इसके सटे स्थित वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को वह रोइंग की नई नर्सरी के रूप में देख रही हैं। उन्होंने यहां रोइंग ट्रेनिंग एकेडमी खोलने की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि इस सिलसिले में वह जल्द ही यूपी के सीएम से मुलाकात कर एकेडमी के लिए प्रस्ताव देंगी।

राजलक्ष्मी सिंह के मुताबिक यूपी रोइंग के क्षेत्र में सर्वाधिक पोटेंशियल वाला राज्य बन सकता है। ओलंपिक की डबल स्पर्धा में भाग लेने वाले अरविंद सिंह यूपी के बुलंदशहर के हैं। 2010 एशियाड में रजत पदक विजेता सूबेदार राजेश यादव संतकबीरनगर के हैं। वर्तमान में बहुत सारे यूपी के खिलाड़ी अन्य राज्यों में प्रशिक्षण लेकर उन राज्यों के लिए खेल रहे हैं।

खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की रोइंग प्रतियोगिता में पंजाब के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले शोभित पांडेय व किशन पांडेय देवरिया जिले के हैं।

गोरखपुर के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर रामगढ़ताल में हुई रोइंग प्रतियोगिता को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने बताया कि भले ही इस प्रतियोगिता में पूर्वी उत्तर प्रदेश से कोई टीम नहीं थी, लेकिन आने वाला समय इसी क्षेत्र का होगा। यहां तो गांव-गांव में अधिकतर बच्चे तैरना और नाव चलाना जानते हैं। संभावनाओं को आकार देने के लिए रोइंग का कोच भी तैनात कर दिया गया।

प्रतियोगिता के अनुरूप नाव भी मंगाई जा रही है। तैयारी गोरखपुर को रोइंग की सबसे बड़ी नर्सरी बनाने की है।

प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण डा.ॅ नवनीत सहगल कहते हैं कि जब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स की मेजबानी यूपी को मिली, तो बिना लाग लपेट रोइंग प्रतियोगिता के लिए रामगढ़ताल का नाम फाइनल कर दिया गया।

कारण, मुख्यमंत्री जी ने इसके समीप वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनवाकर इसे सिर्फ सुरम्यता तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि वाटर स्पोर्ट्स को भी पंख लगाने की कोशिश की है। बकौल डॉ. सहगल, अब हम ट्रेनिंग और उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बारे में सोच रहे हैं। रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी यहां ट्रेनिंग सेंटर, नेशनल कैम्प का आयोजन चाहता है। जल्द ही कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

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