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Home ताज़ा समाचार

लाल किले से पीएम मोदी ने किया सीमावर्ती ग्रामों का उल्लेख

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August 15, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

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प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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जीसीबी/एसकेपी

नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसकेपी

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से 75 जोड़ों को लाल किला पर आमंत्रित किया गया था। देश के अलग-अलग राज्यों से आए यह जोड़े यहां अपनी पारंपरिक पोशाक में स्वतंत्रता दिवस समारोह देखने के लिए पहुंचे थे।

लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

दिल्ली पहुंचे इन गांवों के प्रतिनिधियों से केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि देश की राजधानी में आपको अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। कभी ‘भारत के अंतिम गांव’ कहे जाने वाले इन सीमावर्ती गांवों को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्रथम गांव’ की संज्ञा दी थी। भारत खुद को इसलिए सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि इन सीमावर्ती गांवों के निवासी निगरानी कर रहे हैं।

केंद्र सरकार की इस पहल के अंतर्गत अभी तक 17 से अधिक मंत्रियों ने इन गांवों का दौरा किया है और वहां रात्रि विश्राम किया है।

प्रधानमंत्री के दूरदर्शी मार्गदर्शन में सरकार महिलाओं एवं युवाओं के सशक्तिकरण, सभी मौसम में आवागमन योग्य सड़कों के साथ कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल के प्रावधान, सौर एवं पवन ऊर्जा पर आधारित 24 घंटे बिजली, मोबाइल एवं इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केन्द्र, बहुउद्देशीय केन्द्र तथा स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित करने वाले सरकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वन सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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लाल किला से अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांवों का जिक्र किया। उन्होंने खासतौर पर देश के उन गांवों का उल्लेख किया जो देश की सीमाओं पर स्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों में किए जा रहे विकास कार्यों से देशवासियों को अवगत कराया। हाल ही में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के तहत सीमावर्ती गांवों के दो सौ से अधिक सरपंचों की उनके जीवनसाथी के साथ केंद्र सरकार ने मेजबानी की। इन मेहमानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में ऐतिहासिक लाल किले में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी)’ देश की उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, केन्द्र – शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के 19 जिलों के 46 प्रखंडों के चिन्हित गांवों के व्यापक विकास की परिकल्पना करता है।

केन्द्र सरकार का कहना है कि सीमावर्ती गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों ने अपनी स्थानीय परंपराओं एवं संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ सदियों से देश की रक्षा की है। ये सच्चे देशभक्त हैं।

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इसके अलावा यहां उद्यमशीलता, कृषिगत बागवानी, औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती आदि सहित आजीविका के अवसरों का प्रबंधन करने के लिए स्थानीय स्तर पर सहकारी समितियों का विकास किया जाएगा।

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