गुवाहाटी, 25 जून (आईएएनएस)। इस साल जून के दूसरे सप्ताह में मॉनसून की शुरुआत के बाद से पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम और मेघालय में भारी मात्रा में बारिश हो रही है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जून में असम में 389.7 मिमी बारिश हुई है जो सामान्य से 26 फीसदी ज्यादा है। मेघालय में भी सामान्य सीमा से 30 फीसदी अधिक बारिश हुई।
हालांकि, मौसम विभाग के अधिकारियों ने मणिपुर और मिजोरम को बारिश की कमी वाला बताया है। इस क्षेत्र के अन्य चार राज्यों – त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और सिक्किम में सामान्य वर्षा हुई।
असम में अत्यधिक बारिश के कारण राज्य में अराजक स्थिति पैदा हो गई है, जहां कम से कम 19 जिले बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। ब्रह्मपुत्र, मानस, पुथिमारी और पगलादिया जैसी प्रमुख नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं।
हालांकि, राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि बाढ़ की स्थिति को केवल असम में बारिश से नहीं जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा, हालांकि असम में इस महीने थोड़ी अधिक बारिश हुई है, लेकिन हाल ही में भूटान के कुछ हिस्सों में हुई भारी बारिश बाढ़ का मुख्य कारण रही है।
गुवाहाटी में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक संजय ओनील शॉ ने कहा, मानसून 10 जून को पूर्वोत्तर में आ गया है। चल रही बारिश मानसून के कारण है और अपेक्षित थी। हम आने वाले दिनों में और अधिक बारिश की उम्मीद कर रहे हैं।
मेघालय में भी जून में अत्यधिक वर्षा हुई है, जिसके कारण सड़क संपर्क में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुआ है। दक्षिणी असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर को जोड़ने वाला राजमार्ग जो मेघालय से होकर गुजरता है, इस महीने बार-बार भूस्खलन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप वाहनों की आवाजाही बाधित हुई।
शॉ ने कहा, पूर्वोत्तर में मानसून का पैटर्न वर्षो से लगभग सामान्य रहता है। कभी-कभी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होती है जबकि अन्य क्षेत्रों में कम वर्षा होती है। स्थिति भी बहुत तेजी से बदलती है, क्योंकि अक्सर मानसूनी हवाएं अपनी दिशा बदल लेती हैं।
पिछले साल, पूर्वोत्तर में भारी प्री-मॉनसून बारिश हुई थी, जिसने असम के दिमा हसाओ जिले में तबाही मचाई थी। उस समय मई में असम में बाढ़ भी आई थी।
हालांकि, इस साल पूरे पूर्वोत्तर में बारिश की कमी रही और पिछले महीने में सामान्य से 38 फीसदी कम बारिश हुई। असम और मेघालय में लू चल रही है, जिससे राज्य प्रशासन को बच्चों के लिए पढ़ाई को आसान बनाने के लिए स्कूल के समय में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक भूपेंद्र नाथ गोस्वामी ने आईएएनएस से कहा, बढ़ता पारा स्तर कुछ हद तक ग्लोबल वार्मिग और सभी से जुड़ा हुआ है। लेकिन, पिछले दो वर्षो में बारिश का पैटर्न ला नीना के अनुसार सुसंगत था और अल नीनो प्रभाव।
गोस्वामी के अनुसार, जब ला नीना होता है, तो असम और पूर्वोत्तर में मानसून की शुरुआत से ठीक पहले मई में अधिक वर्षा होती है। मॉनसून की शुरुआत के बाद पूर्वोत्तर में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में कम वर्षा होती है।
उन्होंने कहा, 2022 में ला नीना हो रहा था और मई के महीने में पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही थी। लेकिन जुलाई से सितंबर के दौरान, यहां की तुलना में देश के अन्य हिस्सों में अधिक बारिश हुई। यह बिल्कुल ला नीना के अनुरूप प्रभाव था।
गोस्वामी ने कहा कि चूंकि इस बार देश में अल नीनो का प्रभाव है, इसलिए बारिश का बिल्कुल विपरीत पैटर्न होने की संभावना है।
उन्होंने कहा, इस साल, पूर्वोत्तर में मई में बहुत कम बारिश हुई और मुझे उम्मीद है कि जुलाई और सितंबर के बीच अधिक बारिश होगी।
अनुभवी जलवायु विज्ञानी के अनुसार, ला नीना और अल नीनो प्रभावों के कारण, इन दो वर्षो में वर्षा के विपरीत पैटर्न देखे जाते हैं, हालांकि, समग्र जलवायु में कोई असामान्यता नहीं देखी जाती है।
–आईएएनएस
एसजीके