जबलपुर. निजी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति में दर्ज किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने वक्फ बोर्ड को यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिये है. इसके साथ ही अनावेदक मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है.
यह मामला याचिकाकर्ता रीवा निवासी हाजी मोहम्मद अली की ओर से दायर किया गया है. जिनकी ओर से अधिवक्ता शीतला प्रसाद त्रिपाठी व सुशील त्रिपाठी ने पक्ष रखा. जिन्होंने बताया कि कि लगभग 100 साल पहले याचिकाकर्ता के बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह अपने मालिकाना हक की अमहिया रीवा स्थित प्रश्नाधीन भूमि पर बनाई थी.
जिसे याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने वक्फ बोर्ड को कभी भी दान या समर्पित नहीं किया. इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज को बिना सूचना एवं सुनवाई का अवसर दिए प्रश्नाधीन संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया.
यह है मामला-
दरअसल 1924-25 के पूर्व याचिकाकर्ता के बाबा स्व. अब्दुल मन्नान ने अपने मालिकाना हक की 400 वर्ग फीट भूमि पर अपने पूर्वज हाजी सैयद जहूर अली शाह के नाम की दरगाह बनाई एवं 800 वर्ग फीट भूमि को खाली रखकर उसका उपयोग करते रहे जो याचिका की प्रश्नाधीन संपत्ति है.
1977 में उनकी मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता के पिता स्व. अनवारूल हक प्रश्नाधीन संपत्ति की देखभाल करते रहे एवं पंजीकृत वसीयतनामा 19 सितंबर, 2016 द्वारा याचिकाकर्ता को प्रश्नाधीन संपत्ति की देखभाल के लिए मुतवल्ली बनाया. 30 नवंबर, 2020 को अपने पिता की मृत्यु के बाद से प्रश्नाधीन संपत्ति में काबिज रहकर उसकी देखभाल कर रहा है.
याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज ने कभी भी प्रश्नाधीन संपत्ति को वक्फ बोर्ड को दान एवं समर्पित नहीं किया, फिर भी वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता के अधिपत्य की निजी प्रश्नाधीन संपत्ति को याचिकाकर्ता एवं उसके किसी भी पूर्वज को सूचना एवं सुनवाई का अवसर दिए बिना वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर राजपत्र में प्रकाशित कर दिया.
इस तथ्य की जानकारी मिलने पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है. याचिकाकर्ता की निजी प्रश्नाधीन संपत्ति को वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति दर्ज करने की संपूर्ण कार्यवाही को निरस्त किये जाने की मांग की गई है.