नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली में वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने गुरुवार को इस मुद्दे पर अब तक की गई बैठकों और राज्यों के दौरे पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक पर अब तक दिल्ली में 28 बैठकें आयोजित की गई हैं, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की गई है।
जगदंबिका पाल ने बताया कि राजधानी दिल्ली में 28 बैठकों के अलावा जेपीसी ने कई राज्यों का दौरा भी किया है, ताकि इस विधेयक पर अधिक से अधिक पक्षों से जानकारी और सुझाव मिल सके। उन्होंने कहा कि हमने अब तक मुंबई (महाराष्ट्र), अहमदाबाद (गुजरात), हैदराबाद (तेलंगाना), चेन्नई (तमिलनाडु), बेंगलुरु (कर्नाटक), गुवाहाटी (असम) और भुवनेश्वर (उड़ीसा) का दौरा किया है। इन सभी राज्यों में हम विभिन्न डेलिगेशन से मिले और वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, राज्य सरकार के अधिकारियों और भारत सरकार के छह मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
उन्होंने बताया कि इन बैठकों में इस्लामिक विद्वानों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वाइस चांसलरों और जमीयत-ए-उलेमा जैसे विभिन्न हितधारकों को भी आमंत्रित किया गया। जगदंबिका पाल ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि इस बिल पर जितना संभव हो सके, उतने ज्यादा स्टेक होल्डर्स से चर्चा की जाए, ताकि इस विधेयक से जुड़े सभी पहलुओं पर गहरी समझ बनाई जा सके। जेपीसी का उद्देश्य इस विधेयक से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर देशभर से राय लेना और सभी पक्षों की चिंताओं को समझना है।
बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संसद की संयुक्त समिति की बैठक गुरुवार को दोपहर तीन बजे बुलाई गई थी। बैठक में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधिकारियों ने भी अपना पक्ष रखा।
पिछले सप्ताह जगदंबिका पाल ने लोकसभा समिति के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा समिति के कार्यकाल को बढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया था।
इससे पहले, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार- विमर्श करने के लिए 4 नवंबर को जेपीसी की बैठक बुलाई गई थी।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने जानकारी साझा करते हुए कहा था कि जब संयुक्त संसदीय समिति के लिए प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लाया गया, तो उन्होंने कहा कि वह इसे जेपीसी के पास भेजना चाहते हैं, ताकि हम अधिक से अधिक हितधारकों, बुद्धिजीवियों, इस्लामी विद्वानों, पूर्व न्यायाधीशों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों, अल्पसंख्यक संगठनों को बुलाकर चर्चा कर सकें।
–आईएएनएस
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