नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
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उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
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उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।
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नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ हमारा मसला है, पाकिस्तान की बात करना बेकार है, हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए।
सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान की बात क्यों करें? हर चीज हम पाकिस्तान से सीखेंगे? पाकिस्तान को हमसे सीखना चाहिए। हम क्यों दूसरे देश की बात करें? हम अपने देश की बात करें। क्या हमारे बुजुर्गों ने समझा और क्या किया। और, इसकी निगरानी तो कोर्ट करती है, ट्रिब्यूनल तो एक तरह का कोर्ट ही है। कोर्ट में भरोसा नहीं करते हैं, क्या खुलकर कहें कि हमें भरोसा कलेक्टर पर होगा?
उन्होंने कहा कि मैं भी अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री रह चुका हूं। मैंने भी संशोधन किए थे। मेरे द्वारा किए गए संशोधन पर भी चर्चा हुई थी। 95 का एक्ट इतने दिनों तक चला और कामयाब रहा। अब आप उसमें फिर से कुछ बदलाव करना चाहते हैं। आप डेटा दीजिए कि आप क्यों कर रहे हैं। यह कहना कि लोग इसका फायदा उठाते हैं, ट्रिब्यूनल को कहने दीजिए कि लोग इसका फायदा उठा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ऐसा होता है, हमें दूसरे मुल्क से क्या लेना-देना है? हिंदुस्तान में कैसा होता है, हमें इस बात पर गौर करना चाहिए। आज दखल वक्फ में करेंगे, कल मंदिरों में करेंगे, इसके बाद ट्रस्ट में करेंगे। किस-किस चीज में दखल करेंगे, यह सवाल उठता है।
दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर कहा कि देखिए जमानत किसी को भी मिले, कोर्ट सोच-समझकर देता है। कोर्ट ने 17 महीने के बाद जमानत दी है तो कुछ समझकर दिया होगा। 17 महीने में आप केस को आगे नहीं बढ़ा पाए हैं, 17 महीने निकल गए हैं और 17 महीने निकल जाएंगे। यह जिम्मेदारी सरकार की होती है कि केस को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ाए। जितना मैंने समझा है कि कोर्ट ने कहा कि इतनी जो देर हुई है, उसमें मनीष सिसोदिया का कोई दोष नहीं है। इसी वजह से उन्हें बेल मिल गई है। हालांकि, मनीष सिसोदिया को मिला यह बेल यह नहीं कहता है कि उन पर लगे आरोप सही हैं या फिर गलत। बेल इसलिए मिली ताकि केस का जल्दी से जल्दी फैसला हो सके।