नागपुर, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) बिल पेश किया। इस बिल के माध्यम से सरकार ने देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा है। इस बिल को पेश करने के बाद मेघवाल ने इसे जेपीसी के पास विचार-विमर्श के लिए भेजने का अनुरोध किया। हालांकि, बिल पेश होते ही विपक्षी दलों कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना उद्धव गुट समेत अन्य प्रमुख दलों ने इसका विरोध किया।
शिवसेना उद्धव गुट के नेता अंबादास दानवे ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे देश में लोकतंत्र को खत्म कर एक हुकुम शाही लागू करने जैसा बताया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब लोकतंत्र को खत्म कर हुकुम शाही लाने जैसा है। अगर एक ही चुनाव होता है, तो एक ही सरकार पांच साल तक सत्ता में बनी रहेगी और कोई दूसरी सरकार नहीं आ सकेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में पिछले पांच सालों में तीन बार सरकार बदल चुकी है। अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ होता, तो क्या होता? यही वजह है कि वह इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस नेता नितिन राउत ने कहा कि पहले देश में एक साथ ही चुनाव होता था, लेकिन समय के साथ परिस्थितियां बदल गईं और सरकारें गिरने लगीं, जिससे चुनावों का पूरा कार्यक्रम प्रभावित हुआ। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सफल हो पाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
बता दें कि मंगलवार को लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया था कि यह देश के चुनावी खर्च को कम करने और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके साथ-साथ उन्होंने इसे अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने का दावा किया।
–आईएएनएस
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