नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश के 26 स्वदेशी स्वदेशी ज्ञान धारकों (इंडिजिनियस नॉलेज होल्डर्स) को पेटेंट दिए गए हैं। यह पेटेंट केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर और गुजरात में एक कार्यक्रम का आयोजन कर दिए गए हैं।
पेटेंट देने के बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, “इससे वाणिज्यिक और सामाजिक उपक्रमों के लिए तकनीक को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।”
हर्बल पारंपरिक ज्ञान (हर्बल ट्रेडिशनल नॉलेज) के संरक्षकों को पहले कश्मीर विश्वविद्यालय में ये पेटेंट दिए गए थे। इसके बाद 22 अक्टूबर को भी गुजरात के गांधीनगर में स्थित राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान में एक सम्मान समारोह आयोजित करके यह हर्बल पेटेंट दिए गए।
मंत्रालय के अधिकारियों ने इस विषय पर जानकारी देते हुए कहा, “स्थानीय नॉलेज होल्डर लोग अपने आसपास मौजूद पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर खोजबीन करके अनुभवों और प्रयोगों से स्थानीय वनस्पतियों की गहरी समझ रखते हैं। उनके ये कार्यक्रम अपने इलाके में मानव स्वास्थ्य और कृषि में चुनौतियों को हल करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “पर्यावरण स्वच्छता और रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर बढ़ती चिंता के साथ, ऐसे स्थायी अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसी हर्बल दवाओं को मान्यता दी जानी चाहिए। स्वास्थ्य की देखभाल प्रणाली में एकीकरण के लिए वैज्ञानिक रूप से मूल्यवान बनाया जाना चाहिए।”
देश की स्वदेशी ज्ञान प्रणाली (इंडीजीनियस नॉलेज सिस्टम) की रक्षा के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने साल 2000 में राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन, भारत (एनआईएफ) की स्थापना की थी।
एनआईएफ ने इंडिजिनियस नॉलेज सिस्टम पर एक बड़ा समूह विकसित किया है। साथ ही इसने और बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों से इस ज्ञान की सुरक्षा भी की है।
मंत्रालय ने कहा कि इनमें से कई तकनीकों को सामाजिक लाभ और प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने के अवसर पैदा करने के लिए आईपी संरक्षण दिया गया है।
इसके अलावा, एनआईएफ ने वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ इन स्वास्थ्य परंपराओं की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया है। ताकि “बड़े सामाजिक लक्ष्यों के लिए अनौपचारिक और औपचारिक प्रणालियों के बीच संबंध को बढ़ाया जा सके।”
–आईएएनएस
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