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Home Today's Special News

वित्त वर्ष 2022 तक देशभर के स्कूलों में 26.5 करोड़ छात्र नामांकित

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January 31, 2023
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वित्त वर्ष 2022 तक देशभर के स्कूलों में 26.5 करोड़ छात्र नामांकित
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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

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वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम

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नई दिल्ली, 31 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त वर्ष 22 में कुल मिलाकर 26.5 करोड़ बच्चे स्कूलो में नामांकित हैं और 19.4 लाख अतिरिक्त बच्चों को प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक स्तर तक नामांकित किया गया। वित्त वर्ष 22 में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का कुल नामांकन 22.7 लाख है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 21.9 लाख था, जो 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। केन्?द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी, को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए यह बताया।

पूर्व-प्राथमिक स्तर को छोड़कर सभी स्तरों अर्थात प्राथमिक, उच्च-प्राथमिक, नामांकन 1.1 करोड़ से घटकर वित्त वर्ष 22 में 1.0 करोड़ हो गया। वर्ष के दौरान पूर्व-प्राथमिक स्तर पर लगभग 1.0 करोड़, प्राथमिक पर 12.2 , उच्च प्राथमिक पर 6.7 करोड़, माध्यमिक पर 3.9 करोड़ और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 2.9 करोड़ बच्चों का नामांकन हुआ।

वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात (जीआईआर) में सुधार और लिंग समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु के लड़के-लड़कियों की जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा 1 से 5 के प्राथमिक नामांकन में वित्त वर्ष 22 में सकल नामांकन अनुपात में सुधार हुआ। इस सुधार ने वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच गिरावट की प्रवृत्ति को उलट दिया है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (11-13 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में छठी से आठवीं कक्षा में नामांकन), जो वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 19 के बीच स्थिर था, वित्त वर्ष 22 में सुधार हुआ है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तरों पर संबंधित आ?ु समूहों में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात लड़कों की तुलना में बेहतर है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को संयुक्त राष्ट्र एसडीजी (एसडीजी 4) के अंतर्गत लक्ष्य 4 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका उद्देश्य 2030 तक समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा और सभी के लिए आजीवन सीखते रहने के अवसरों को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) को 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसका लक्ष्य देश की कई बढ़ती विकास संबंधी आवश्यकताओं का पता लगाना था। यह नीति शिक्षा ढांचे के सभी पहलुओं में संशोधन और सुधार के लिए बनायी गई है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि हाल के वर्षों में सभी स्तरों पर बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में लगातार गिरावट देखी गई। लड़कियों और लड़कों दोनों के मामले में गिरावट देखी गई है। समग्र शिक्षा, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, स्कूल के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार, आवासीय छात्रावास भवन, शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, बच्चों के लिए यूनिफॉर्म, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण जैसी योजनाएं स्कूलों में नामांकन बढ़ाने और बच्चों की स्कूलों में पढ़ाई जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक अध्यापन विज्ञान पर ध्यान देने के साथ-साथ स्कूलों, सुविधाओं और डिजिटलीकरण के रूप में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को लगातार बढ़ावा दिया गया है। स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं-मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या और छात्र शिक्षक अनुपात में परिलक्षित शिक्षकों की उपलब्धता दोनों के संदर्भ मे वित्त वर्ष 22 में सुधार दिखा।

वित्त वर्ष 22 में पिछले वर्षों की तुलना में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार अधिकांश सरकारी स्कूलों में अब शौचालय (लड़कियों या लड़कों के लिए), पीने का पानी और हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है। समग्र शिक्षा योजना एवं स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत विद्यालयों में पेयजल एवं स्वच्छता की प्राथमिकता विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने और इन परिसंपत्तियों के निर्माण में सहायक रहे हैं। समग्र शिक्षा योजना के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) घटक के तहत, सरकार स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं और आईसीटी प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता करती है, जिसमें हार्डवेयर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर और शिक्षण के लिए ई-सामग्री शामिल है।

जिसे छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षा की गुणवत्ता से संबंध रखता है। शिक्षकों की उपलब्धता पर वित्त वर्ष 13 से वित्त वर्ष 22 की अवधि में लगातार सभी स्तरो, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की उपलब्धता और स्कूलों में सुविधाओं के सुधार से नामांकन में सुधार होने और स्कूल ड्रॉपआउट की दरों में कमी की आशा है।

खिलौना आधारित अध्यापन-विज्ञान के लिए पुस्तिका, सीखने की विशिष्ट अक्षमताओं के लिए स्क्रीनिंग टूल्स (मोबाइल ऐप, प्रशस्त), नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, विद्यांजलि (स्कूल स्वयंसेवी पहल) यह कार्यक्रम पूरे देश में लगभग 11,34,218 छात्रों को सहायता देने में सफल रहा है।

समग्र शिक्षा योजना: यह प्री-स्कूल से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। समग्र शिक्षा योजना को एनईपी 2020 की सिफारिशों के साथ जोड़ा गया है और वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 26 तक बढ़ाया गया है।

–आईएएनएस

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