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Home ताज़ा समाचार

विधानसभा चुनावों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी कांग्रेस, सीडब्ल्यूसी ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

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November 29, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

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कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम

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नई दिल्ली, 29 नवंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में भ्रष्टाचार, मणिपुर हिंसा और देश के विभिन्न हिस्सों में जारी जातीय हिंसा पर संसद में चर्चा से सरकार के इनकार का मुद्दा उठाया गया। साथ ही हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से निराश न होते हुए जाति जनगणना, आरक्षण सीमा में वृद्धि, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों को लगातार उठाते रहने की भी बात कही गई।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में करीब साढ़े चार घंटे चली बैठक के बाद पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश, महासचिव (संगठन) केसी. वेणुगोपाल और मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां पार्टी मुख्यालय पर मीडिया को बताया कि सीडब्ल्यूसी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इसमें चार राज्यों में विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर भी मंथन किया गया। इसकी समीक्षा के लिए आंतरिक समितियों का गठन किया जाएगा, जो संगठन और ब्लॉक तथा जिला स्तरों पर कारणों की जांच करेगी।

बैठक के बाद जारी प्रस्तावना में कहा गया है कि संसद का शीतकालीन सत्र सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर तत्काल चर्चा करने से बचने की मोदी सरकार की “हठधर्मिता” के कारण बर्बाद हो गया है। इसमें कहा गया है कि ये मुद्दे हैं : “हाल ही में भ्रष्टाचार के बारे में खुलासे, मणिपुर में जारी हिंसा और प्रधानमंत्री द्वारा सभी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना और हाल ही में उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्यों में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा सुनियोजित प्रयास।”

पार्टी ने पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए भाजपा पर इसका “बेशर्मी से उल्लंघन” करने का आरोप लगाया।

प्रस्तावना में कहा गया है कि केरल के वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की भारी जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता में खास तौर पर उत्साह की लहर पैदा कर दी है।

कांग्रेस कार्यसमिति ने झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और ‘इंडिया’ ब्लॉक के अन्य दलों को दिए जनादेश के लिए राज्य की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने “प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, असम के मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के खतरनाक रूप से विभाजनकारी और जहरीले ध्रुवीकरण अभियान” को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।

सीडब्ल्यूसी ने स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी का निजी प्रदर्शन “बेहतर होना चाहिए था”। यह भी कहा गया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए दबाव बनाना जारी रखेगी।

हरियाणा के बारे में सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन “सभी उम्मीदों के विपरीत” रहा है। राज्य में चुनावी गड़बड़ियों ने नतीजों को प्रभावित किया है।

महाराष्ट्र में पार्टी और महा विकास अघाड़ी के प्रदर्शन को “समझ से परे” और “वास्तव में चौंकाने वाला” बताते हुए प्रस्तावना में कहा गया है कि यह स्पष्ट रूप से “लक्षित हेर-फेर का मामला प्रतीत होता है”।

कांग्रेस कार्यसमिति ने सभी स्तरों पर कांग्रेस संगठन से इस मोड़ पर अधिकतम शक्ति और दृढ़ता जुटाने का आह्वान करते हुए कहा कि इन पराजयों से “निराश होने या घबराने की कोई जरूरत नहीं है”। प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान पार्टी ने लोगों के सामने जो मुद्दे रखे थे, वे लोगों के लिए दैनिक चिंता के मुद्दे हैं। पार्टी को अपने नैरेटिव को लगातार मजबूत करना चाहिए। इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना; अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना; राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है।

सीडब्ल्यूसी ने आरोप लगाया है कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी ने कहा, “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है। समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं। कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी।”

बैठक में सीडब्ल्यूसी सदस्यों के अलावा स्थायी आमंत्रित सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य और राज्यों के मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री भी शामिल हुए।

पार्टी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 1924 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100 साल के मौके पर 26 दिसंबर को बेलगाम में विशेष आयोजन का भी फैसला किया है। इस दौरान वहां विस्तृत कार्य समिति की बैठक और एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा।

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