लखनऊ, 12 अगस्त (आईएएनएस)। 14 अगस्त को प्रदेश में विभाजन के दौरान प्राण गंवाने वाले लोगों को याद रखा जाएगा और वृहद स्तर पर पूरे प्रदेश में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सीएम की मंशा के अनुरूप, प्रदेश के सभी 75 जिलों में विभाजन के दौरान विस्थापित परिवारों को आमंत्रित कर त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, सभी जिलों में प्रदर्शनी के आयोजन, विभाजन संबंधी डॉक्यूमेंट्रीज दिखाए जाने व अन्य कार्यक्रमों के आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार कर ली गई है।
इस विषय में मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा सभी सचिवों, मंडलायुक्त व जिलाधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। सरकार की ओर से बताया गया है कि 1947 में देश ने लाखों लोगों के बलिदान के फलस्वरूप स्वाधीनता प्राप्त की थी, मगर इसी दौरान देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी झेलना पड़ा।
भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के इसी पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली। भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था।
ऐसे में इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के आयोजन के जरिए भेदभाव, वैमनस्य व दुर्भावना को खत्म कर एकता, सामाजिक सद्भाव व मानव सशक्तिकरण की भावना को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इसी बात को ध्यान में रखकर सीएम योगी की मंशा के अनुरूप आयोजन को लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि लखनऊ समेत प्रदेश के सभी 75 जिलों में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस संबंधी आयोजनों की विस्तृत रूपरेखा तय कर दी गई है। मुख्य तौर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभाजन की त्रासदी झेलने वाले परिवारों को भी आमंत्रित किए जाने की योजना है।
त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों के लिए 2 मिनट का मौन रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त विभाजन से संबंधित डॉक्यूमेंट्री को भी दिखाया जाएगा। मुख्य तौर पर स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों को दिखाया जाएगा। सभी जिलों के बड़े सभागारों में विभाजन से जुड़ी स्मृतियों व अभिलेखों को प्रदर्शनी के आयोजन के जरिए दिखाया जाएगा।
इसके अतिरिक्त भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से संबंधित किताबों को पुस्तक प्रदर्शनी के माध्यम से आम लोगों के लिए सुलभ बनाया जाएगा। साथ ही, विभाजन के दर्द को साझा करने के लिए प्रदेश में स्क्रीय सिंधी काउंसिल ऑफ इंडिया, उत्तर प्रदेश सिंधी सभा, उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी व सनातनी पंजाबी महासभा जैसे विभिन्न गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।
–आईएएनएस
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