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शशिकला ने हाई कोर्ट से जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट का मामला रद्द करने की मांग की

by
June 13, 2023
in राष्ट्रीय
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शशिकला ने हाई कोर्ट से जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट का मामला रद्द करने की मांग की
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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

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याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

–आईएएनएस

एबीएम/एसकेपी

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

–आईएएनएस

एबीएम/एसकेपी

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

–आईएएनएस

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

–आईएएनएस

एबीएम/एसकेपी

बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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बेंगलुरु, 13 जून (आईएएनएस)। एआईएडीएमके की पूर्व महासचिव और तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला नटराजन ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने खुद पर चल रहे उस मामले को रद्द करने की गुहार लगाई है, जिसमें उन पर और उनकी सहयोगी जे इलावरासी पर बेंगलुरु के परप्पना अग्रहारा केंद्रीय जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट लेने के आरोप हैं।

न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी किया है और इस केस की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है। शशिकला ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है और वो पूरी तरह से निर्दोष हैं।

याचिका में जिक्र है कि कर्नाटक के सीनियर आईपीएस ऑफिसर्स सत्यनारायण राव और रूपा मौदगिल की प्रतिष्ठा की लड़ाई के चलते उन्हें मामले में आरोपी बनाया गया है। आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल ने आरोप लगाया था कि उन्हें जेल में वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

याचिकाकर्ता का दावा है कि आईएएस अधिकारी विनय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने 21 अक्टूबर 2017 को इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को 26 फरवरी 2018 को स्वीकार कर लिया था। इस रिपोर्ट में कुछ भी ऐसे सबूत नहीं मिले थे, जिससे भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लगाए गए आरोप को सही ठहराया जा सके।

उच्च न्यायालय ने पहले ही अन्य आरोपियों कृष्ण कुमार, बी सुरेश और गजराजा मकनूर के खिलाफ मामला खारिज कर दिया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं।

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद शशिकला 2017 में जेल में बंद थीं। यह आरोप लगाया गया था कि शशिकला को निजी कपड़े पहनने की अनुमति दी गई थी और एक कुक भी दिया गया था। उनके सेल से कुकर और मसाले भी मिले थे।

शशिकला को एक अलग विजिटर रूम भी दिया गया था और जेल के गलियारे में उनके लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जेल में भी शशिकला को खुली छूट मिली हुई थी। सूत्रों ने कहा था कि शशिकला सीसीटीवी फुटेज में मुलाकात करने आए एक शख्स से चार घंटे तक बातचीत करती दिखी थीं। फुटेज में शशिकला और इलावरासी एक बैग पकड़े हुए अपने ब्लॉक से बाहर जाती हुई दिखी थीं।

इन आरोपों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने जांच के आदेश दिए थे। आईपीएस रूपा की रिपोर्ट में जिक्र था कि शशिकला को खास ट्रीटमेंट देने के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जाने की खबर थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि तत्कालीन डीजीपी जेल सत्यनारायण राव पर भी आरोप थे। हालांकि, इस मामले को लेकर तत्कालीन सिद्दारमैया सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी। बाद में सरकार ने जांच के आदेश देते हुए दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया था।

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