जयपुर, 24 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में सुनवाई के दौरान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को फटकार लगाई और जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने से रोक दिया।
शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
–आईएएनएस
एकेजे
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जयपुर, 24 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में सुनवाई के दौरान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को फटकार लगाई और जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने से रोक दिया।
शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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जयपुर, 24 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में सुनवाई के दौरान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को फटकार लगाई और जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने से रोक दिया।
शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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जयपुर, 24 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी मामले में सुनवाई के दौरान स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को फटकार लगाई और जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने से रोक दिया।
शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
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कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
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बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
बाजवा ने दावा किया कि राज्य सरकार विधानसभा चुनाव के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के तहत शेखावत को फंसाने की कोशिश कर रही है।
बाजवा ने कहा, इस साल अप्रैल में राजस्थान सरकार की ओर से पेश वकीलों ने भी हाई कोर्ट में कहा था कि शेखावत का नाम किसी भी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है।
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शेखावत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील वी.आर. बाजवा ने अदालत को बताया कि एसओजी ने अगस्त 2019 में मामला दर्ज किया था, लेकिन साढ़े चार साल बाद भी उसने जांच पूरी नहीं की है।
एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
कोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत संजीवनी मामले में शामिल थे तो चार साल में एसओजी ने उन्हें नोटिस क्यों नहीं दिया। अदालत ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में पहला आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र क्यों दायर किया गया, जबकि शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम इसमें नहीं था।
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एसओजी ने कभी भी शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और न ही पहले दायर की गई चार्जशीट में कहीं भी शेखावत का नाम आरोपियों में शामिल किया गया था।
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