नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर केंद्र और तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया, जिसमें आंध्र प्रदेश सरकार और तेलंगाना के बीच संपत्तियों और देनदारियों के बंटवारा करने की मांग की गई है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश ने केंद्र और तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि उसने राष्ट के अभिभावक के रूप में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि संपत्ति का बंटवारा स्पष्ट रूप से तेलंगाना के लाभ के लिए है, क्योंकि इनमें से लगभग 91 प्रतिशत संपत्ति हैदराबाद में स्थित है।
याचिका में कहा गया है कि हैदराबाद न केवल कैपिटल सेंट्रिक डेवलपमेंट मॉडल के कारण एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में परिवर्तित हुआ है, बल्कि सरकारी बुनियादी ढांचे सहित शासन के अधिकांश संस्थान (राज्य के सभी क्षेत्रों के लोगों के कल्याण के लिए) संयुक्त राज्य के बड़े पैमाने पर निवेश संसाधनों द्वारा विशेष रूप से हैदराबाद शहर के आसपास केंद्रित और विकसित किए गए थे।
आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य के विभिन्न संस्थानों में कार्यरत 1,59,096 कर्मचारी 2014 से ही अधर में लटके हुए हैं, क्योंकि उचित विभाजन नहीं किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य के विभाजन के बाद सेवानिवृत्त हुए पेंशन योग्य कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है और उनमें से कई को अंतिम लाभ नहीं मिल पाया है। इसलिए, जरूरी है कि इन संपत्तियों का जल्द से जल्द बंटवारा किया जाए और इस मुद्दे का हल किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि संपत्तियों का बंटवारा नहीं होने से इन संस्थानों के कर्मचारियों समेत आंध्र प्रदेश राज्य के लोगों के मौलिक और अन्य संवैधानिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने और उनका उल्लंघन करने वाले कई मुद्दे सामने आए हैं। इसमें आगे कहा गया है कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के तहत किए गए विभाजन के संदर्भ में पर्याप्त धन और संपत्ति के वास्तविक विभाजन के बिना, आंध्र प्रदेश में संस्थानों के कामकाज में गंभीर रूप से कमी आई है।
–आईएएनएस
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