नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। राज्यसभा में मंगलवार को भी मणिपुर हिंसा मामले पर जबरदस्त हंगामा हुआ। इस हंगामे के बीच राज्यसभा के सभापति ने कहा कि उन्होंने सदन में मणिपुर पर चर्चा की इजाजत दे दी है। इस चर्चा के लिए 2 घंटे 30 मिनट का समय आवंटित किया गया है। हालांकि, विपक्ष इस पर राजी नहीं हुआ।
विपक्ष का कहना था कि राज्यसभा में इस मुद्दे पर विस्तार से दिनभर की चर्चा कराई जाए। इसके साथ ही विपक्षी सांसदों का कहना था कि प्रधानमंत्री मणिपुर मामले को लेकर सदन में आकर जवाब दें। मंगलवार को मणिपुर मामले में विस्तार से चर्चा को लेकर कुल 60 सांसदों ने राज्यसभा सभापति को नोटिस दिया था।
राज्यसभा सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदन में कहा कि वह 20 जुलाई को ही इस मुद्दे पर अपनी व्यवस्था दे चुके हैं। धनखड़ ने कहा कि मैंने 20 जुलाई को ही नियम 176 के अंतर्गत ‘शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन’ की मंजूरी दे दी थी। सभापति ने कहा, मैने इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं से अपने कक्ष में मुलाकात भी की थी। इस दौरान इसके अलावा मैंने सुझाव दिया कि उनके लिए उपयुक्त समय आवंटित किया जा सकता है ताकि सभी चिंताओं को सदन के समक्ष व्यक्त किया जा सके।
दरअसल, विपक्ष का कहना है कि वह मणिपुर हिंसा मामले पर संक्षिप्त चर्चा नहीं चाहते बल्कि उनकी मांग है कि इस मामले पर विस्तार से चर्चा कराई जाए। विपक्ष के मुताबिक नियम 267 में विस्तार से चर्चा होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि नियम 267 के अंतर्गत चर्चा के उपरांत वोटिंग भी कराई जा सकती है, जबकि नियम 176 के अंतर्गत इस मुद्दे पर केवल संक्षिप्त चर्चा कराई जा सकती है।
इसके अलावा विपक्ष प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर भी अड़ा है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री सदन को मणिपुर की स्थिति के बारे में बताएं और उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर सदन में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। अपनी मांगों के समर्थन में विपक्षी सांसद राज्यसभा में ‘मणिपुर, मणिपुर’ के नारे लगाते रहे। इन सांसदों ने प्रधानमंत्री से सदन में आकर बयान देने संबंधी नारे भी लगाए।
–आईएएनएस
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