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सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को देगी बढ़ावा

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February 26, 2023
in Uncategorized, राष्ट्रीय
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सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को देगी बढ़ावा
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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

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उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

–आईएएनएस

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

–आईएएनएस

जीसीबी/एसजीके

नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्र सरकार धन और रोजगार सृजित करने के लिए उद्योग संचालित स्टार्ट-अप्स को बढ़ावा देगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, एनआईआई, दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। केंद्र सरकार के मुताबिक स्टार्ट-अप्स बूम को बरकरार रखने के लिए उद्योग द्वारा समान साझेदारी और जिम्मेदारी के साथ समान हिस्सेदारी करने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने कहा कि यदि उद्योग शुरू से ही थीम/विषय/उत्पाद की पहचान करेगा और सरकार के साथ समानता का निवेश करेगा, तो स्टार्ट-अप्स टिकाऊ हो जाएंगे। उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि देश में नवाचार इको-सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार के तहत धन की कमी नहीं रहेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का विचार का उदाहरण दिया, जहां भारत की वैक्सीन रणनीति फार्मा, उद्योग और शिक्षा जगत को वर्तमान के साथ-साथ संभावित भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी में एक साथ आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और वर्ष 2025 तक यह दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अपने मालक्यूल के विकास का समर्थन किया और कहा कि भारतीय समस्याओं के लिए भारतीय उपचारों को तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी कल की तकनीक है, क्योंकि आईटी पहले ही अपने सर्वोच्च बिंदु पर पहुंच चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बायोटेक अमृत काल अर्थव्यवस्था की कुंजी होगी और भारत को विश्व में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में भी मदद करेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि पिछले आठ वर्षो में भारत की जैव-अर्थव्यवस्था जो 2014 में 10 अरब डॉलर थी जो 2022 में बढ़कर 80 अरब डॉलर से अधिक हो गई। इसी प्रकार बायोटेक स्टार्टअप्स जो 2014 में 52 थे 2022 में 100 गुना बढ़कर 5300 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में प्रतिदिन 3 बायोटेक स्टार्टअप्स शामिल हो रहे हैं और 2021 में ही 1,128 बायोटेक स्टार्टअप्स स्थापित किए गए जो भारत में इस क्षेत्र के तेजी से हो रहे विकास का संकेत देते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र का पिछले तीन दशकों में काफी विकास हुआ है और इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग और जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि इसे सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से ही इस भारी समर्थन मिला है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को इस क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए 21वीं सदी की मूलभूत तकनीकियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से अन्य बातों के अलावा, भारत को दुनिया की शीर्ष पांच वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने की इच्छा रखता है और यह विभाग वैज्ञानिक अनुसंधान को सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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