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Home ताज़ा समाचार

साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाईयां दूर होती हैं : सुरेंद्रनाथ अवधूत

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October 4, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

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उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

डीकेएम/एएस

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

डीकेएम/एएस

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

डीकेएम/एएस

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन दक्षिणी दिल्ली के प्राचीन ‘कालकाजी मंदिर’ में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। यहां पर भक्त पूजा की थाल लिए लाइनों में अपनी बारी का इंतजार करते दिखें। मंदिर प्रशासन ने यहां पर व्यवस्था के इंतजाम कर रखे हैं। जगह-जगह पर वालंटियर तैनात हैं। जिससे यहां आने वाले भक्तों को माता के दर्शन करने में किसी भी तरह से कोई दिक्कत न हो।

कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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कालकाजी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने कहा, “नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। उनका तपस्वी का स्वरुप है। उनके एक हाथ में अक्षमाला और दूसरे में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि, भगवती स्वयं एक तपस्विनी के स्वरूप में हैं। उन्होंने एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया कि, नारद के उपदेश पर भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए भगवती ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया था। तब से भगवती ब्रह्मचारिणी के रूप में विख्यात हुई। उन्होंने कहा कि बताए गए मंत्रों के जाप व भगवती को पुष्प अर्पित करने से साधक के मार्ग में आने वाली सारी कठिनाईयां दूर होती हैं और साधक को साधना में सफलता मिलती है।

वहीं, नवरात्रि के पहले दिन कालकाजी मंदिर में बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें एक की मौत कई घायल हो गए थे। इस पर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा, यह बहुत दुखद है कि कालकाजी मंदिर में ऐसा हादसा हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है कि राम प्याऊ के पास रात करीब 12.30 बजे कुछ लोग लाइन पार कर दूसरी तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान, लोगों ने तार को पकड़ लिया। तार टूटने से लोहे की टीन में करंट फैल गया। जिससे यह दुखद हादसा हुआ। सुरेंद्र अवधूत ने कहा कि वह मठ की ओर से घायलों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास करेंगे।

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