deshbandhu

deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
deshbandu_logo
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Menu
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर
Facebook Twitter Youtube
  • भोपाल
  • इंदौर
  • उज्जैन
  • ग्वालियर
  • जबलपुर
  • रीवा
  • चंबल
  • नर्मदापुरम
  • शहडोल
  • सागर
  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
ADVERTISEMENT
Home Uncategorized

सिसोदिया को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने केस में दखल देने से किया इनकार

by
February 28, 2023
in Uncategorized, राष्ट्रीय
0
सिसोदिया को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने केस में दखल देने से किया इनकार
0
SHARES
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp
ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

READ ALSO

बेंगलुरु भगदड़: RCB की जीत का जश्न मातम में बदला, 11 की मौत, CM, डिप्टी सीएम और क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने 32 जगहों पर की छापेमारी

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

ADVERTISEMENT

नई दिल्ली, 28 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया को सीबीआई ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया है। सिसोदिया ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि उनके मुवक्किल के पास दिल्ली हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वह शीर्ष अदालत से जो राहत मांग रहे हैं, उसके लिए या तो निचली अदालत या हाई कोर्ट का रुख करें।

पीठ ने यह भी बताया कि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से जुड़ा मामला है और यह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा। पीठ ने कहा, इससे गलत मिसाल कायम होगा.. सिर्फ इसलिए कि ये घटना दिल्ली में हुई है, हम इसे यहां सीधे नहीं ले सकते।

कोर्ट ने आगे बताया कि सिसोदिया एफआईआर को चुनौती दे रहे हैं, रिमांड को चुनौती दे रहे हैं, जमानत की मांग कर रहे हैं, सब संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत। पीठ ने सिंघवी से कहा, धारा 482 सीआरपीसी के तहत आपके पास हाई कोर्ट जाने का रास्ता खुला है।

सिंघवी ने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के केस का हवाला देते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में जमानत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लगाई जा सकती है। चीफ जस्टिस ने जवाब दिया कि गोस्वामी का मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में आया था, और दुआ के मामले में, एफआईआर एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के लिए एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज की गई थी।

सिंघवी ने आगे तर्क दिया कि दिल्ली हाई कोर्ट के रोस्टर जज ज्यादा बैठकें नहीं कर रहे हैं, वो पीएफआई मामले में यूएपीए ट्रिब्यूनल के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के सामने रखा जा सकता है।

सिंघवी ने तर्क दिया कि वे सिसोदिया को कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जब वो हर समय बुलाए जाने पर पेश हुए हैं, और भागने का खतरा कहां है? हालांकि, शीर्ष अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

–आईएएनएस

एसकेपी

Related Posts

बेंगलुरु, भगदड़, 11 की मौत, CM, डिप्टी सीएम के खिलाफ शिकायत दर्ज
ताज़ा समाचार

बेंगलुरु भगदड़: RCB की जीत का जश्न मातम में बदला, 11 की मौत, CM, डिप्टी सीएम और क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज

June 5, 2025
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने 32 जगहों पर की छापेमारी
ताज़ा समाचार

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने 32 जगहों पर की छापेमारी

June 5, 2025
अयोध्या : जन्मभूमि परिसर में राजा राम समेत परकोटे में विराजमान देवों की प्राण प्रतिष्ठा के आज साक्षी बनेंगे मुख्यमंत्री
राष्ट्रीय

अयोध्या : जन्मभूमि परिसर में राजा राम समेत परकोटे में विराजमान देवों की प्राण प्रतिष्ठा के आज साक्षी बनेंगे मुख्यमंत्री

June 5, 2025
Uncategorized

अब खेलते-खेलते पुरानी नसों के दर्द से मिलेगी राहत, ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने बनाया नया गेम

June 5, 2025
राहुल गांधी के अंदर पाकिस्तान परस्ती कूट-कूटकर भरी है : सीपी सिंह
राष्ट्रीय

राहुल गांधी के अंदर पाकिस्तान परस्ती कूट-कूटकर भरी है : सीपी सिंह

June 4, 2025
Uncategorized

चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत, 33 घायल (लीड-2)

June 4, 2025
Next Post
ऑस्ट्रेलियाई महिला फुटबॉल टीम विश्व कप से पहले फ्रांस से भिड़ेगी

ऑस्ट्रेलियाई महिला फुटबॉल टीम विश्व कप से पहले फ्रांस से भिड़ेगी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ADVERTISEMENT

Contact us

Address

Deshbandhu Complex, Naudra Bridge Jabalpur 482001

Mail

deshbandhump@gmail.com

Mobile

9425156056

Important links

  • राशि-भविष्य
  • वर्गीकृत विज्ञापन
  • लाइफ स्टाइल
  • मनोरंजन
  • ब्लॉग

Important links

  • देशबन्धु जनमत
  • पाठक प्रतिक्रियाएं
  • हमें जानें
  • विज्ञापन दरें
  • ई पेपर

Related Links

  • Mayaram Surjan
  • Swayamsiddha
  • Deshbandhu

Social Links

083525
Total views : 5886887
Powered By WPS Visitor Counter

Published by Abhas Surjan on behalf of Patrakar Prakashan Pvt.Ltd., Deshbandhu Complex, Naudra Bridge, Jabalpur – 482001 |T:+91 761 4006577 |M: +91 9425156056 Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions The contents of this website is for reading only. Any unauthorised attempt to temper / edit / change the contents of this website comes under cyber crime and is punishable.

Copyright @ 2022 Deshbandhu. All rights are reserved.

  • Disclaimer, Privacy Policy & Other Terms & Conditions
No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • अंतरराष्ट्रीय
  • लाइफ स्टाइल
  • अर्थजगत
  • मनोरंजन
  • खेल
  • अभिमत
  • धर्म
  • विचार
  • ई पेपर

Copyright @ 2022 Deshbandhu-MP All rights are reserved.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password? Sign Up

Create New Account!

Fill the forms below to register

All fields are required. Log In

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In