नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। निम्न आय वर्ग के परिवारों के एक महत्वपूर्ण हिस्से का कहना है कि पानी की पर्याप्त उपलब्धता शौचालयों के उपयोग में एक बड़ी बाधा है। परिवारों को अपने घरों में शौचालयों का उपयोग करने के लिए पानी का नियमित स्रोत महत्वपूर्ण है।
अप्रैल के अंत में सीवोटर फाउंडेशन द्वारा किए गए राष्ट्रव्यापी सर्वे के दौरान पूछा गया था: क्या आपके पास शौचालय का उपयोग करने के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति है?
इस पर, 52.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें पर्याप्त पानी की आपूर्ति मिलती है, जबकि 40 प्रतिशत से अधिक ने इससे असहमति जताई।
सीवोटर फाउंडेशन सर्वे के आंकड़े अलग-अलग श्रेणियों में अंतर दिखाते हैं। शहरी भारत में रहने वाले दो-तिहाई उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें अपने घरों में शौचालयों का उपयोग करने के लिए पर्याप्त पानी मिलता है, जबकि ग्रामीण भारत के लिए यह आंकड़ा 46 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।
इसी तरह, जहां 55 फीसदी उच्च जाति के हिंदुओं ने कहा कि उन्हें पर्याप्त पानी मिलता है, वहीं अनुसूचित जनजातियों के 44 फीसदी उत्तरदाताओं ने समान राय साझा की।
यह पूछे जाने पर कि उनके क्षेत्र में रहने वाले लोग अभी भी खुले में शौच क्यों करते हैं, 17 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने पानी की कमी को एक कारण बताया, जबकि अन्य 21 प्रतिशत ने सफाई की कमी या दूसरा कारण बताया।
2014 में शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ है, हालांकि पर्याप्त पानी की आपूर्ति की कमी परिवारों को शौचालयों का उपयोग करने में सक्षम बनाने में एक चुनौती बनी हुई है।
स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और विफलताओं का पता लगाने के लिए देश भर में सीवोटर फाउंडेशन ने विशेष सर्वे किया है। सर्वे को विश्वसनीय बनाने के लिए, सभी उत्तरदाता निम्न आय पृष्ठभूमि से लिए गए, जिनकी आय 3000 रुपये प्रति माह से कम थी।
धारणा यह है कि बहुत गरीब लोग ही खुले में सबसे ज्यादा शौच करते हैं।
–आईएएनएस
एसकेपी