नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में एक आरोपी को यह देखते हुए जमानत दे दी कि वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर था।
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, हालांकि अब उसे छुट्टी दे दी गई है, याचिकाकर्ता के स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए कि वह वेंटिलेटर पर था तथा जेल में उन्नत उचित चिकित्सा उपचार की अनुपलब्धता के कारण और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता एक साल और सात महीने से अधिक समय से कैद में है, हम याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के इच्छुक हैं।
आरोपी की ओर से पेश वकील नमित सक्सेना ने कहा कि आरोपी 10 किलो गांजा रखने के लिए एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोपों का सामना कर रहा है, जो प्रकृति में व्यावसायिक नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल की तबीयत बिगड़ गई है और वह पहले वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता को ऐसे नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है, जिसे ट्रायल कोर्ट लागू करना उचित समझे। विशेष अनुमति याचिका का तदनुसार निस्तारण किया जाता है। यदि कोई आवेदन लंबित है तो उसे भी निस्तारित माना जाएगा।
शीर्ष अदालत का आदेश सलीम मजोठी द्वारा दायर एक याचिका पर आया जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
दलील में आरोप लगाया गया कि उच्च न्यायालय ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखे बिना और इस बात की सराहना किए बिना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कथित अपराध में उसकी संलिप्तता दिखाने के लिए कुछ भी नहीं मिला, जिसके लिए उसे कैद किया गया है, उसकी याचिका खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता ने कहा, वर्तमान मामला दुर्भाग्यपूर्ण है, जहां किसी भी अपराध में शामिल न होने के बावजूद याचिकाकर्ता को एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 8 (सी), 20 (बी) और 29 के तहत अपराधों के लिए कैद किया गया है। न्यायालय ने नीचे दिए गए आदेश पारित करते समय याचिकाकर्ता के खराब स्वास्थ्य और सह-आरोपी व्यक्तियों को दी गई जमानत सहित कई कारणों को ध्यान में नहीं रखा गया। वर्तमान एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दाखिल करने के समय याचिकाकर्ता वेंटिलेटर पर है।
–आईएएनएस
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