नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधीकरण (एनसीएलएटी) के दो सदस्यों को अवमानना नोटिस जारी किया। दोनों न्यायाधीकरण की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने कथित तौर पर पिछले सप्ताह शीर्ष अदालत के एक आदेश की अवहेलना की थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि एनसीएलएटी के सदस्य (न्यायिक) श्री राकेश कुमार और सदस्य (तकनीकी) डॉ. आलोक श्रीवास्तव के खिलाफ अवमानना क्षेत्राधिकार के तहत कार्रवाई की जा सकती है।” शीर्ष अदालत की पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
पीठ ने अपीलीय न्यायाधिकरण के दो सदस्यों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों की “जानबूझकर” अवहेलना करने के लिए अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत दोषी क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने पूर्ण न्याय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 13 अक्टूबर को पारित एक आदेश में एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ द्वारा पारित फैसले को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि पक्षकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का पालन करने से बचने के लिए “कुटिल” तरीकों का सहारा नहीं ले सकते।
अदालत ने कहा, “नतीजतन हम निर्देश देते हैं कि अपील की सुनवाई एनसीएलएटी के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा नए सिरे से की जाएगी।” उसने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों की प्रतिद्वंद्वी दलीलों के गुण-दोष पर विचार नहीं किया है।
शीर्ष अदालत ने 13 अक्टूबर को एनसीएलएटी के अध्यक्ष को अपीलीय न्यायाधिकरण की एक पीठ के कामकाज की जांच करने का आदेश दिया, जिसने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की थी।
अदालत ने कहा था कि वह “असाधारण परिस्थितियों” में आदेश पारित कर रही है, जहां एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ अपीलीय न्यायाधिकरण से कंपनी की आम बैठक की घोषणा के बाद “अपना फैसला” सुनाने के लिए कहा गया था।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ”अगर जो कहा गया है वह सही है, तो यह स्पष्ट रूप से एनसीएलएटी द्वारा इस अदालत के आदेश की अवहेलना है।” उसने कहा कि उसका आदेश दोपहर 1.55 बजे अपलोड किया गया था। जबकि विवेचक की रिपोर्ट दोपहर 2.40 बजे अपलोड होने की बात कही गई थी।
इसमें कहा गया था कि एनसीएलएटी के अध्यक्ष द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट विशेष रूप से सत्यापित करेगी कि क्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश पर अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ का ध्यान आकर्षित किया गया था।
मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
–आईएएनएस
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