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Home ताज़ा समाचार

स्मॉग टावर के साथ मंत्री जी के उद्घाटन की पट्टी भी हुई “गायब”, प्रदूषण पहुंचने वाला है पीक पर

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November 12, 2024
in ताज़ा समाचार
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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

–आईएएनएस

पीकेटी/एएस

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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

–आईएएनएस

पीकेटी/एएस

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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

–आईएएनएस

पीकेटी/एएस

नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

–आईएएनएस

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नोएडा, 12 नवंबर (आईएएनएस)। एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू है और उत्तर प्रदेश के नोएडा में लगा इकलौता स्मॉग टावर गायब हो गया है। उसके साथ ही उसके उद्घाटन के वक्त लगाई गई मंत्री के नाम की पट्टी भी गायब हो गई है।

ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

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ग्रेप लागू होने के एक महीने पहले नोएडा में लगे प्रदेश के पहले स्मॉग टावर को हटा दिया गया। इसे अब तक लगाया नहीं जा सका। साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ के शिलापट्टा को भी यहां से हटा दिया गया। नोएडा प्राधिकरण के जीएम एसपी सिंह ने बताया कि टावर में तकनीकी दिक्कत आ गई थी। ये ठीक से डेटा नहीं दे रहा था। इसे ठीक करने के लिए हैदराबाद सेंटर भेजा गया है।

इस टावर को नवंबर-2021 में भेल ने नोएडा प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता 1 किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में ये पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करता। लोगों को राहत मिलती। इस बार ऐसा नहीं हो रहा।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर का लोकार्पण 17 नवंबर 2021 को तत्कालीन केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था। इस मौके पर शहर में अन्य जगहों पर भी ये टावर लगवाए जाने की चर्चा हुई थी। दूसरी जगहों पर टावर लगवाने की कवायद तो आगे बढ़ी नहीं। वहीं दूसरी तरफ लगाया गया टावर भी खोलकर ले जाया गया। इसके साथ ही मंत्री जी के उद्घाटन का शिलापट तक हटा दी गई।

ये टावर प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए होता है। इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्चा आता था। यह टावर एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारेगा। इस लिहाज से सेक्टर-16, 16ए, 16बी, 17ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटेगा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई यह आंकड़े भी नोएडा प्राधिकरण या बीएचईएल की तरफ से अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

एयर पलूशन कंट्रोल टावर जब नवंबर-2021 में चालू हुआ था तब ही बीएचईएल के अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। यह बीएचईएल के हरिद्वार स्थित प्लांट पर बना था। अब जो बदलाव होने है उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए, या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा। बीएचईएल के डीजीएम सुभाष चंद ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी नोएडा प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगी। फिर नया टावर बनवाकर उसे लगवाया जाएगा।

–आईएएनएस

पीकेटी/एएस

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