नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नवनिर्वाचित सांसदों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के समापन समारोह में शनिवार को कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में संवाद और सहयोग का माहौल आवश्यक होता है। इसलिए स्वस्थ और सशक्त लोकतंत्र के लिए हमें विवाद और प्रतिरोध के स्थान पर संवाद और सहयोग का माहौल बनाने की जरूरत है।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत की आत्मा के भारतीय संसद में अंतर्निहित होने की बात कहते हुए उन्होंने सांसदों से लोकतंत्र के उच्चतम मानदंडों को बनाए रखने का आग्रह किया। बिरला ने नवनिर्वाचित सांसदों को नसीहत देते हुए कहा कि सांसदों के कार्यकलापों पर न सिर्फ भारत बल्कि समूचे विश्व की दृष्टि रहती है, इसलिए उनका आचरण गरिमापूर्ण, शालीन और अनुशासित होना चाहिए। संसद सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के बाद सांसदों को जनता के मुद्दों का समाधान करने और सुशासन के बारे में सरकार को विचारशील सुझाव देने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभानी होती हैं।
उन्होंने कहा कि सांसदों का दायित्व है कि वे अपने मतदाताओं की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करें । इसके लिए उन्हें अपने मतदाताओं के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सदन के मंच का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने नए सांसदों से निश्चित लक्ष्य के साथ संकल्पबद्ध होकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का आग्रह किया।
प्रभावी सांसद बनने के लिए अध्ययन के महत्व का उल्लेख करते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि सांसद सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का जितना अधिक अध्ययन करेंगे, वे सदन का उतना ही अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि सदस्यों को नियमों और मुद्दों की पूरी जानकारी के साथ सदन की कार्यवाही में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
इस बात पर जोर देते हुए कि संसद सदस्य की सफलता सदन में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के सरोकारों को स्पष्ट, संक्षिप्त और प्रभावी ढंग से व्यक्त करने की उनकी क्षमता पर निर्भर करती है, बिरला ने कहा कि सदन के भीतर स्थापित परंपराओं और प्रथाओं का उद्देश्य सार्थक और लाभप्रद चर्चाओं को बढ़ावा देना है और नए सदस्यों को उस भाव को और मजबूत करना चाहिए। उन्होंने सांसदों को पार्लियामेंट लाइब्रेरी में उपलब्ध डिजिटल और प्रिंट संसाधनों का अधिकाधिक प्रयोग करने की सलाह दी।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि नए सांसद ऐसे ही सहयोगी परिवेश में योगदान देना जारी रखेंगे। विशेषकर ऐसे समय में जब सांसदों से जनता की अपेक्षाएं और उनके काम की निगरानी पहले से कहीं अधिक है, लोकतंत्र के उच्च मानदंडों को स्थापित करने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। प्रबोधन कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए, बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि प्रबोधन कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य सदस्यों को संसदीय नियमों के दायरे में रहकर अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए आवश्यक जानकारी और साधन प्रदान करना है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कार्यक्रम का उद्देश्य पूरा हुआ है। अपने मतदाताओं की समस्याओं का समाधान करने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने में सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से सदस्यों को इन चुनौतियों से अधिक कुशलता से निपटने में मदद मिलती है । राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी नवनिर्वाचित सांसदों को संबोधित किया।
–आईएएनएस
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