नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली सरकार से तिहाड़ जेल में स्वच्छ पेयजल और उचित स्वच्छता की स्थिति के संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा।
समिति ने यह कहते हुए एक याचिका दायर की थी कि जेल के कैदियों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं करना दिल्ली जेल नियमों और मॉडल जेल मैनुअल का स्पष्ट उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है, तिहाड़ जेल के कैदियों को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल, स्वच्छता, और समग्र स्वच्छ वातावरण और स्वच्छ और निजी वॉशरूम/शौचालयों तक पहुंच जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित करना दिल्ली जेल नियमों के साथ-साथ मॉडल जेल मैनुअल का भी उल्लंघन है। इस तरह की वंचना अंतर्राष्ट्रीय नियमों और कैदियों के लिए लागू दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन है।
याचिका के अनुसार, जेल की स्वच्छता के मुद्दों को एक कैदी द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के ध्यान में लाया गया था, जिसके परिणामस्वरूप जेल परिसर में उसके पैनल के एक वकील द्वारा निरीक्षण किया गया और यह पाया गया कि पर्याप्त और स्वच्छ तिहाड़ जेल परिसर में पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने 14 अप्रैल, 2023 को अगली सुनवाई के लिए मामले को पोस्ट करते हुए आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।
एडवोकेट अमित जॉर्ज के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि टूटे हुए वॉशरूम और शौचालय उपयोग के लायक नहीं हैं और मरम्मत की जरूरत है। यह भी कहा गया है कि परिसर में एक मैनहोल है, जिसमें भरा हुआ पानी अब बाहर निकल रहा है और दरुगध से कैदियों के लिए रहना मुश्किल हो गया है।
दलील में कहा गया है कि पैनल के वकील ने सुझाव दिया था कि सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल तक पहुंच के साथ-साथ जेल परिसर में समग्र स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के संबंध में शिकायतों के निवारण के लिए याचिका दायर की जा सकती है।
–आईएएनएस
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