सैन फ्रांसिस्को, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं ने कहा है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हाई-प्रोटीन डाइट के हानिकारक प्रभावों से बचा सकता है।
साइंटिफिक जर्नल ईलाइफ में प्रकाशित स्टडी के अनुसार, प्रोटीन का सेवन आम तौर पर मांसपेशियों की वृद्धि और ताकत को बढ़ावा देने के मामले में फायदेमंद माना जाता है, खासकर जब इसे व्यायाम के साथ जोड़ा जाता है। हालांकि, सेडेंटरी लोगों में अधिक प्रोटीन हृदय रोग, मधुमेह और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है।
प्रोटीन का सेवन आम तौर पर मांसपेशियों की वृद्धि और ताकत को बढ़ावा देने के मामले में फायदेमंद माना जाता है, खासकर जब इसे व्यायाम के साथ जोड़ा जाता है। हालांकि, गतिहीन लोगों में, बहुत अधिक प्रोटीन हृदय रोग, मधुमेह और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा सकता है।
इस संभावना की जांच करने के लिए कि व्यायाम हाई-प्रोटीन डाइट के हानिकारक प्रभावों से रक्षा कर सकता है, शोधकर्ताओं ने चूहों में प्रोग्रेसिव रेजिस्टेंस-बेस्ड स्ट्रेंथ ट्रेनिंग प्रोग्राम का उपयोग किया।
अमेरिका के विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में अनुसंधान सहायक, मुख्य लेखिका माइकेला ट्रौटमैन ने कहा, ”हम जानते हैं कि कम प्रोटीन वाले डाइट और स्पेसिफिक अमीनो एसिड के कम स्तर वाले आहार जानवरों में स्वास्थ्य और जीवनकाल को बढ़ावा देते हैं, और प्रोटीन के अल्पकालिक प्रतिबंध से चयापचय रूप से अस्वस्थ, वयस्क मनुष्यों के स्वास्थ्य में सुधार होता है।”
इस संभावना की जांच करने के लिए चूहों को दो समूहों में विभाजित किया गया, एक को कम प्रोटीन वाला आहार (प्रोटीन से 7 प्रतिशत कैलोरी) दिया गया और दूसरे को उच्च-प्रोटीन आहार (प्रोटीन से 36 प्रतिशत कैलोरी) दिया गया।
शोधकर्ताओं ने विभिन्न समूहों के शरीर की संरचना, वजन और ब्लड ग्लूकोज जैसे चयापचय माप की तुलना की।
परिणामों से पता चला कि हाई-प्रोटीन डाइट ने सेडेंटरी चूहों में बिना वजन खींचे चयापचय स्वास्थ्य को खराब कर दिया, कम प्रोटीन डाइट वाले चूहों की तुलना में इन चूहों में अतिरिक्त वसा जमा हो गई। लेकिन बढ़ते वजन को खींचने वाले चूहों में, हाई-प्रोटीन डाइट से विशेष रूप से अग्रबाहु में मांसपेशियों की वृद्धि हुई, और जानवरों में वसा बढ़ने से बचाया गया।
हालांकि, व्यायाम ने चूहों को ब्लड शुगर कंट्रोल पर हाई प्रोटीन के प्रभाव से नहीं बचाया।
स्टडी के दावे ठोस सबूतों पर समर्थित थे।
उनके अनुसार, चूहों का उपयोग अंतर्निहित शारीरिक अंतर के कारण मनुष्यों के लिए निष्कर्षों की प्रयोज्यता को सीमित कर सकता है।
–आईएएनएस
पीके/एसकेपी