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Home ताज़ा समाचार

हिमाचल में बारिश से हुई तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करें पीएम मोदी : कांग्रेस

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August 23, 2023
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने केदारनाथ त्रासदी और गुजरात के भुज भूकंप का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि वह हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से मची तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करें।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

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उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

–आईएएनएस

एमकेएस

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने केदारनाथ त्रासदी और गुजरात के भुज भूकंप का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि वह हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से मची तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करें।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

–आईएएनएस

एमकेएस

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने केदारनाथ त्रासदी और गुजरात के भुज भूकंप का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि वह हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से मची तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करें।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

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पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

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पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने केदारनाथ त्रासदी और गुजरात के भुज भूकंप का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि वह हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से मची तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करें।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

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पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने केदारनाथ त्रासदी और गुजरात के भुज भूकंप का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी से मांग की है कि वह हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से मची तबाही को प्राकृतिक आपदा घोषित करते हुए 10,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करें।

पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि बारिश और भूस्खलन के कारण हिमाचल प्रदेश में जिस तरह की तबाही हुई है, उस पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में हमने ऐसी तबाही नहीं देखी है।

उन्होंने कहा कि अब तक 330 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 35 लापता हैं। यहां तक कि 12,000 से ज्यादा घर नष्ट हो गए हैं और 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि भूस्खलन के कारण कई राजमार्ग बह गये हैं।

शुक्ला ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अभूतपूर्व स्थिति के लिए इसे प्राकृतिक आपदा घोषित करना चाहिए, क्योंकि हिमाचल में ऐसा कभी नहीं हुआ है।

उन्‍होंने कहा जिस तरह से केदारनाथ आपदा और गुजरात के भुज में भूकंप के लिए पैकेज दिया गया था, वैसे ही हम केंद्र से मांग करते हैंं कि वह हिमाचल प्रदेश के लिए भी 10,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करे।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 200 करोड़ रुपये मिले हैं और हम सब जानते हैं कि किस तरह की तबाही हुई है। मैं लोगों से भी अपील करता हूं कि वे आगे आएं और राज्य के पुनर्निर्माण के लिए दान करें।

उन्होंने कहा कि मैं लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से भी अपील करता हूं कि वे सांसदों को एमपीएलएडी फंड के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के लिए दान देने की अनुमति दें, जैसे कि भुज भूकंप के दौरान दी गई थी।

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र की दो टीमों ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया था और उन्होंने वहां की स्थिति का आकलन किया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी राज्य में सड़क क्षति का जायजा लिया था। उन्हें राज्य के लिए कुछ पैकेज की घोषणा भी करनी चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकारों ने हिमाचल प्रदेश को सहायता दी है और अन्य राज्यों को भी पहाड़ी राज्य की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

पहाड़ी राज्य में हुए नुकसान का हवाला देते हुए राजीव शुक्ला ने बताया कि चाहे ऊपरी हिमाचल हो या निचला हिमाचल, दोनों में तबाही मची है।

उन्‍होंने कहा कि 75,000 से अधिक पर्यटक और 17,000 वाहन फंसे हुए थे, जिन्हें राज्य सरकार ने बाहर निकाला। लाहौल स्पीति में 4,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर 300 से अधिक पर्यटक फंसे हुए थे, उन्हें भी राज्य सरकार ने बचाया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बचाव कार्यों की निगरानी के लिए चौबीसों घंटे डेरा डाले रहे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि पहले 7 से 15 जुलाई के बीच और फिर 10 से 14 अगस्त के बीच बारिश हुई और वह अभी भी जारी है। पहले ऊपरी हिमाचल बचा था, लेकिन अब उस क्षेत्र में भी भारी बारिश और नुकसान हो रहा है। यह सेब का मौसम है लेकिन उन्हें लाने के लिए कोई सड़क नहीं है।

–आईएएनएस

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